आज इस दर्दनाक हादसे को एक साल पूरा हो चुका है, मगर पीड़ित परिवारों के आंसू अब भी सूखे नहीं हैं और पुलिस विवेचना की रफ्तार आज भी ठहरी हुई है।
खटारा कंटेनर अब भी खड़ा है, कार का हिस्सा उससे चिपका हुआ
हादसे के बाद जिस कंटेनर से कार टकराई थी, वह अब भी सर्किट हाउस चौकी परिसर में खड़ा है। कार का पिछला हिस्सा अब भी कंटेनर से चिपका हुआ है — मानो न्याय की राह देख रहा हो। एक साल बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। कैंट थाना पुलिस के अनुसार, अब मामले की विवेचना अंतिम चरण में है और जल्द कोर्ट में चार्जशीट पेश की जाएगी।
सात दोस्तों की कार में निकली थी अंतिम सवारी
उस रात कार में सात दोस्त सवार थे —
गुनीत, कुणाल कुकरेजा, ऋषभ जैन, नव्या गोयल, अतुल अग्रवाल, कामाक्षी और सिद्धेश अग्रवाल।
ये सभी दोस्त शहर की सड़कों पर घूमने निकले थे। राजपुर रोड से सफर शुरू हुआ और कार घंटाघर, बल्लीवाला चौक होते हुए ओएनजीसी चौक की ओर बढ़ी। इसी दौरान एक दूसरी कार को ओवरटेक करने की कोशिश में रफ्तार बढ़ाई गई और अगले ही पल यह सफर मौत का सफर बन गया।
12 दिन की जांच के बाद पकड़ा गया चालक
हादसे के 12 दिन बाद पुलिस ने कंटेनर चालक रामकुमार को गिरफ्तार किया था। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा। घायल युवक सिद्धेश अग्रवाल की हालत नाजुक थी और वह लंबे समय तक बयान देने की स्थिति में नहीं था। इसी कारण चार्जशीट की प्रक्रिया महीनों तक अटकी रही।
कामाक्षी के पिता ने भी की थी न्याय की मांग
हादसे में जान गंवाने वाली कामाक्षी सिंघल के पिता, अधिवक्ता तुषार सिंघल, ने भी अलग से मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की थी। उनका सवाल था —
“कैसे एक खटारा कंटेनर को सड़कों पर चलने की अनुमति दी गई?”
उन्होंने पुलिस और न्यायालय से अनुरोध किया कि हादसे के लिए सिर्फ चालक ही नहीं, बल्कि कंटेनर मालिक और संबंधित विभागीय अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। हालांकि उन्हें बताया गया कि एक ही घटना में अलग से मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता, इसलिए उनकी शिकायत को मौजूदा केस में जोड़ दिया गया।
कंटेनर की बिक्री में हुई नियमों की अनदेखी
जांच में खुलासा हुआ कि हादसे में शामिल कंटेनर पहले गुरुग्राम स्थित वीआरसी लॉजिस्टिक के नाम पर था। बाद में इसे कई बार बिना ट्रांसफर कराए अलग-अलग लोगों को बेचा गया।
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पहले इसे नरेश गौतम ने खरीदा,
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फिर मेरठ निवासी अभिषेक चौधरी को बेच दिया गया।
दोनों ने इसे अपने नाम पर पंजीकृत नहीं कराया।
इसी बीच, यह कंटेनर ड्रिलिंग मशीन लेकर कौलागढ़ की ओर जा रहा था, जब यह दर्दनाक टक्कर हो गई।
पीड़ित परिवारों की मांग – ‘न्याय दो, जिम्मेदारों को सजा दो’
एक साल बीत चुका है, लेकिन पीड़ित परिवारों की पीड़ा जस की तस है। उनका कहना है कि
“हादसे के पीछे सिर्फ चालक नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही भी जिम्मेदार है।”
परिजन अब भी न्याय की उम्मीद में हैं कि कोई अधिकारी यह जवाब देगा कि आखिर वह खटारा कंटेनर कैसे सड़कों पर दौड़ता रहा।














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