इंसाफ चाहे देर से मिले लेकिन मिलता जरूर है, यही कहावत आज हरिद्वार में सही साबित हुई हैं. हरिद्वार में साल 2008 के एक केस में सजा सुनाई गई है. हरिद्वार में शासकीय धन का गबन कर सरकारी तंत्र की साख को चोट पहुंचाने वाले एक लिपिक को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.
क्या था मामला: राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ऐथल के लिपिक रहे आरोपी मदन सिंह गुसाईं को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है. सहायक अभियोजन अधिकारी नवेंदु कुमार मिश्रा के अनुसार, आरोपी लिपिक ने वर्ष 2008 में विद्यालय में तैनाती के दौरान कई प्रधानाचार्यों के फर्जी हस्ताक्षर तैयार कर उनके सामान्य भविष्य निधि खातों से अवैध रूप से धन निकाला. इतना ही नहीं, छात्र-छात्राओं से एकत्रित राजकीय शुल्क और छात्र निधि की रकम भी पासबुक में जमा न कर, उसका निजी लाभ के लिए गबन किया.
यह सारा घोटाला उस समय उजागर हुआ जब विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य ने खातों की जांच के दौरान गड़बड़ियों को पकड़ा. इसके बाद इसकी शिकायत पथरी थाने में दर्ज करवाई गई. जिसके बाद हरिद्वार की थाना पथरी पुलिस ने मामले की तफ्तीश के बाद आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया गया. इस मामले में न्यायालय ने करीब 14 गवाहों के बयान दर्ज किये गये. ठोस साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया गया. जिसके बाद आज मामले में पांच साल की जेल और 10 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.
बता दें घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट 16.09.2008 को दर्ज हुई थी. न्यायालय में आरोप-पत्र को 08.03.2010 दाखिल किया गया. बहस सुनने की तिथि 25.07.2025 थी. जिसके बाद अब ये फैसला आया है.
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