चमोली: जिले में मत्स्य पालन काश्तकारों की आय का अच्छा साधन बनने लगा है. जिले में 1135 काश्तकार मत्स्य पालन कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. जिले में जहां बड़ी संख्या में ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा रहा है. वर्तमान में काश्तकार मत्स्य पालन से लाखों की कमाई कर रहे हैं.
सहायक निदेशक मत्स्य रितेश कुमार चंद ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर विभाग द्वारा जनपद में राज्य योजना के तहत मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं केंद्र पोषित योजनाओं का प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत संचालन किया जा रहा है. इसके साथ ही जिला योजना के माध्यम से भी काश्तकारों को मत्स्य पालन के व्यवसाय से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चमोली जनपद की आबोहवा ट्राउट मत्स्य का पालन के लिए अनुकूल है. जिस कारण अधिकतम योजनाओं का संचालन ट्राउट मत्स्य पालन हेतु किया जा रहा है
.रितेश कुमार चंद ने कहा कि वर्तमान में जनपद के 350 से अधिक रेसवेज में ट्राउड मछली पालन का कार्य किया जा रहा है. जिससे लगभग 70 टन प्रतिवर्ष का उत्पादन किया जा रहा है. साथ ही 600 से अधिक कलस्टर आधारित तालाबों में कामन, एवं ग्रास के साथ ही पंगास मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. जनपद चमोली में दो मत्स्य पालन को लेकर काश्तकारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग की ओर से 2 तथा 3 काश्तकारों की ओर से ट्राउट हैचरी से मत्स्य बीज उत्पादन का भी कार्य किया जा रहा है. बीते वर्ष जनपद से करीब 4 लाख मत्स्य बीज का विपणन कर 8 लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं. जिसकी आपूर्ति जनपद के साथ ही अन्य जनपदों को भी की जा रही है.
मत्स्य पालकों को आहार उपलब्ध करवाने के लिए विभागीय सहयोग के साथ एक फीड मील की भी स्थापना की गयी है. जिसके माध्यम से वर्तमान तक 40 टन मत्स्य आहार का विपणन कर संचालकों की ओर से 10 लाख से अधिक की शुद्ध आय अर्जित की जा चुकी है. बताया कि केंद्र सरकार की ओर से सीमांत क्षेत्र में तैनात आईटीबीपी और सेना को मछली आपूर्ति कर काश्तकार 27 लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं. मत्स्य पालन विभाग की ओर से जनपद में केन्द्र पोषित विभागीय योजनाओं के तहत ट्राउट रेसवेज निर्माण, फिश कियोस्क, ट्राउट हैचरी, रेफ्रिजरेटेड वैन, मोटरसाइकिल विद आइस बाक्स, फीड मिल जैसी योजनाओं का काश्तकारों को लाभ दिया जा रहा है.













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