भाजपाई ताऊ के कर्मों से गईं भतीजी की कुर्सी, परिवारवाद से नुकसान का बड़ा उदाहरण
हरिद्वार | ब्यूरो रिपोर्ट
हरिद्वार जिले के भगवानपुर ब्लॉक से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां परिवारवाद की राजनीति ने एक बार फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्लॉक प्रमुख करुणा कर्णवाल को आखिरकार पद से बर्खास्त कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि करुणा कर्णवाल की जगह उनके ताऊ, भाजपा के पूर्व विधायक और वर्तमान दायित्वधारी देशराज कर्णवाल, पिछले तीन साल से ब्लॉक की कमान संभाल रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, देशराज कर्णवाल न केवल बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी) बैठकों में शामिल होते थे, बल्कि सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी खुद देते थे। लंबे समय से चल रही इस स्थिति पर अब कार्रवाई की गई है और करुणा कर्णवाल को बर्खास्त कर दिया गया है।
⚖️ परिवारवाद और महिला प्रतिनिधित्व पर सवाल
यह मामला केवल भगवानपुर तक सीमित नहीं है। प्रदेश ही नहीं, देशभर में पंचायत चुनावों में महिला आरक्षण के तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की वास्तविक भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 90% से अधिक स्थानों पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की जगह उनके परिवार के सदस्य ही असली सत्ता संचालन करते हैं।
करुणा कर्णवाल की बर्खास्तगी को कई लोग “ट्रेलर” मान रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब केंद्र सरकार का महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पूरी तरह लागू होगा, तब इस तरह के कई उदाहरण सामने आ सकते हैं।
📜 क्या है नारी शक्ति वंदन अधिनियम
नए कानून के तहत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं।
लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
यह आरक्षण 15 वर्षों तक प्रभावी रहेगा, जिसे संसद आगे बढ़ा सकती है।
यह प्रावधान राज्यसभा या विधान परिषदों जैसे अप्रत्यक्ष सदनों पर लागू नहीं होगा।













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