प्रदेश सरकार सैनिक कल्याण के लिए लगातार अहम फैसले ले रही है। अमर बलिदानियों की स्मृति में जल्द ही भव्य शौर्य स्थल (सैन्य धाम) अस्तित्व में आ जाएगा। इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।
इस धाम में प्रदेश की 28 नदियों का जल और बलिदानी सैनिक के घरों से लाई गई मिट्टी भी इस्तेमाल की गई है। साथ ही सरकार अग्निवीरों को वापस लौटने के बाद पुलिस, परिवहन, वन और अन्य विभागों में सेवायोजित करने की तैयारी कर रही है।
अग्निवीरों को इन विभागों की भर्ती में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने बीते चार वर्षों बलिदानी सैनिक, सैनिक, पूर्व सैनिक और उनके स्वजन के कल्याण को कई अहम फैसले लिए हैं।
इसके तहत सरकार ने बलिदानी स्वजन को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को दस लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है। वीरता पुरस्कारों से अलंकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त धनराशि भी बढ़ाई गई है। परमवीर चक्र विजेताओं को दी जाने वाली अनुग्रह राशि अब 50 लाख से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये की गई है।
पूर्व सैनिक वीरांगनाओं और पुत्री को ड्रोन दीदी के रूप में रोजगारपरक प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। बलिदानी सैनिक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में लिए जाने की व्यवस्था की गई है। अब तक बलिदानियों की 37 आश्रितों को सरकारी नौकरी प्रदान की जा चुकी है।
इसके तहत सरकारी नौकरी के आवेदन करने की अवधि को भी दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया है। वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को उत्तराखंड रोडवेज की बसों में निश्शुल्क सुविधा के साथ ही सेवारत और पूर्व सैनिकों को 25 लाख रुपये तक के मूल्य की स्थायी संपत्ति की खरीद पर स्टांप डयूटी में 25 प्रतिशत तक की छूट दी गई है।
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