केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोनीपत के गन्नौर के गांव पांची गुजरान स्थित दिल्ली इंटरनेशनल कार्गाे टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड (डीआईसीटी) में पहुचंकर एनर्जी इन मोशन कंपनी द्वारा बनाए गए भारत के पहले कमर्शियल इलेक्ट्रिक ट्रक बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया. इस दौरान उनके साथ केन्द्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी भी मौजूद थे.
इस स्टेशन के शुरू होने से सड़कों पर दौड़ रहे भारी-भरकम ट्रक बैटरी के जरिए भी आसानी से चल पाएंगे. अभी बैटरी खत्म होने पर कई घंटे चार्जिंग पर लगाना पड़ता है, लेकिन ऐसे स्टेशन्स के शुरू हो जाने से 5 मिनट में बैटरी बदलकर ट्रक के ड्राइवर अपने डेस्टिनेशन की ओर आगे बढ़ पाएंगे. इससे प्रदूषण में काफी ज्यादा कमी आएगी. जल्द ही देश में इस तरह के और भी बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, जहां पर ट्रक के ड्राइवर अपनी बैटरी को बदल सकेंगे या चार्ज कर सकेंगे.
इस दौरान केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एनर्जी इन मोशन कंपनी द्वारा की गई इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि भारत के लगभग 25 लाख करोड़ रूपये बाहरी देशों से ईंधन खरीदने में खर्च हो जाते हैं. अगर हम वैकल्पिक ऊर्जा से इस रूपये की बचत करेंगे तो ये रुपया भारत के विकास में खर्च होगा और हम विकसित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में और अधिक तेजी से आगे बढ़ेंगे. आज बैटरी की कीमत में 50 से 60 प्रतिशत की कमी आई है. बिना प्रदूषण के ईवी वाहन चल रहे हैं. आज इस नई शुरुआत से लॉजिस्टिक कॉस्ट कम पड़ेगी. वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं है, जब देश को डीज़ल से मुक्ति मिलेगी.
गडकरी ने बताया कि “नागपुर-जबलपुर हाईवे पर पराली से बना बिटुमिन उपयोग कर एक किलोमीटर लंबी सड़क तैयार की है. ये सड़क बाकी सड़कों के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत साबित हुई है. अब पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की बजाय उससे सड़कें बनाई जाएगी, जिससे प्रदूषण में भारी कमी आएगी.”
उन्होंने कहा कि देश की लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकार का टार्गेट दिसंबर 2026 तक इसे सिंगल डिजिट (9 प्रतिशत से कम) तक लाना है. इसके लिए हाईवे नेटवर्क को बेहतर किया जा रहा है. जलमार्गों, रेल और सड़क परिवहन के समन्वय से मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक कॉस्ट कम होने से ना केवल व्यापारियों और उद्योगपतियों को लाभ मिलेगा, बल्कि किसानों को भी उनके उत्पादों के परिवहन में कम लागत का फायदा मिलेगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि भारत को अगले कुछ वर्षों में ग्रीन एनर्जी हब के रूप में स्थापित किया जाए. इसी कड़ी में कृषि आधारित ऊर्जा उत्पादन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. हाल ही में सरकार ने मक्के से एथोनॉल बनाने की अनुमति प्रदान की थी, जिसका परिणाम ये रहा कि बाजार में मक्के की डिमांड बढ़ गई और आज मक्के के दाम जहां पहले 1200 रूपये प्रति क्विंटल थे, वहीं ये बढक़र 2800 रूपये प्रति क्विंटल पर पहुंच चुके हैं.
भारत बनेगा आत्मनिर्भर : गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार का लक्ष्य किसानों को अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता बनाने का है. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की असली शक्ति गांव और किसान में है. अगर गांव समृद्ध होगा तो भारत अपने आप आत्मनिर्भर बन जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि आधारित उद्योगों, जैव ईंधन उत्पादन और वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्रों को नई दिशा दे रही है. देशभर में एथेनॉल, बायो-सीएनजी, बायो-एलएनजी और ग्रीन हाईड्रोजन जैसे प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि गन्ना, धान पराली और अन्य फसल अवशेषों से बायो-फ्यूल तैयार करने की योजना लागू की जा रही है. इससे ना केवल किसानों की आय बढ़ेगी
,कार्यक्रम में केन्द्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने के संकल्प के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. देश में आज रेल के साथ-साथ भारी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए भारी वाहनों की भागीदारी सबसे ज्यादा है. इसलिए अगर नई तकनीकों की मदद से ऐसे भारी वाहनों का निर्माण करें जो डीजल से नहीं बायो फ्यूल से चलें, तो इससे लॉजिस्टिक कास्ट में तो कमी आएगी ही बल्कि प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी. उन्होंने का कहा कि दुनिया का भविष्य डीजल-पेट्रोल की बजाय बायोफ्यूल ईंधन का है. आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक ड्राइव क्रांति इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना को लागू किया, जिसका उद्देश्य विभिन्न श्रेणियों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाना, ईवी चार्जिंग के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है.













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