अगर बाहरी दबाव लगातार बने रहते हैं और देश की आर्थिक वृद्धि धीमी होने लगे, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) दिसंबर में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. यह बात आईसीआईसीआई बैंक की ताजा रिपोर्ट में कही गई है.
नीतिगत भाषा में बदलाव का संकेत
रिपोर्ट में बताया गया है कि MPC की हाल की नीति समीक्षा में भाषाई बदलाव ने संकेत दिया है कि भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है. अगस्त 2025 में समिति ने कहा था कि मौद्रिक नीति ने कम महंगाई की स्थिति का लाभ उठाया है. वहीं अक्टूबर समीक्षा में कहा गया कि महंगाई में नरमी के कारण आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए मौद्रिक नीति के पास और गुंजाइश है. ICICI बैंक के अनुसार, यह नरम रुख की ओर नीतिगत संकेत है.
दिसंबर में संभावित कदम
रिपोर्ट में उल्लेख है कि जब महंगाई नियंत्रण में होगी, तब दरों में कटौती का मुख्य कारण आर्थिक विकास को समर्थन देना होगा. RBI गवर्नर ने हाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विभिन्न कारकों के आधार पर दिसंबर में अगला कदम तय किया जाएगा. यदि बाहरी परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण रहती हैं और आर्थिक विकास धीमा होता है, तो MPC 25 आधार अंकों (bps) तक की कटौती पर विचार कर सकती है.
MPC के बाहरी सदस्यों का समर्थन
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि MPC के दो बाहरी सदस्यों ने नीतिगत रुख का समर्थन किया, जिससे मंदी-रोधी संकेत और मजबूत हुए. हालांकि, कटौती की वास्तविक दर और समय आर्थिक संकेतक, GDP आंकड़े और वैश्विक व्यापार की स्थिति पर निर्भर करेगा.अन्य कारक और प्रभाव
RBI गवर्नर ने यह भी कहा कि हाल में GST दरों में कटौती से उपभोग को कुछ समर्थन मिलेगा, लेकिन अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के नुकसान की भरपाई पूरी नहीं होगी. रिपोर्ट के अनुसार, मौद्रिक नीति की दिशा महंगाई नियंत्रण के साथ-साथ आर्थिक विकास और वैश्विक चुनौतियों से तय होगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि नीतिगत भाषा में यह बदलाव निवेशकों और बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है. अगर हालात अनुकूल रहे, तो दिसंबर में दर कटौती से बाजार में निवेश और उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सकता है.













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