कहीं स्मार्ट क्लास तो कहीं बल्लियों पर टिका है नाैनिहालों का भविष्य, जोखिम में जान

प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार और सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 840 विद्यालयों में जहां हाइब्रिड मोड में वर्चुअल एवं स्मार्ट कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। वहीं कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जिनमें स्कूल के बरामदे की छत को गिरने से रोकने के लिए सीमेंट के पिलर की जगह लकड़ी की टेक लगाई गई।

राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसे में 21 बच्चे घायल हुए। राजस्थान की तरह उत्तराखंड के स्कूलों का भी कुछ यही हाल है। जहां जर्जर भवनों में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं। 11,375 सरकारी स्कूलों में से 2,785 स्कूल भवन जर्जर हैं। इनमें चमोली जिले में तो एक ऐसा विद्यालय है जिसके बरामदे की छत को रोकने के लिए लकड़ी की टेल लगाई गई है।

यह हाल तब है जबकि सभी विभागों में शिक्षा विभाग का सबसे अधिक बजट है। चमोली जिला निवासी उर्मिला बिष्ट के मुताबिक राजकीय प्राथमिक विद्यालय बमोटिया में 50 से 60 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल के बरामदे की छत को रोकने के लिए बुरांस की लकड़ी की टेक लगाई गई है। हालांकि यह बताया गया है कि इस स्कूल भवन में कक्षा संचालित नहीं हो रही है।

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