जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं, अधिकारी दे रहे ये दलील

पिथौरागढ़: बरसात के दिनों में पहाड़ में पहाड़ जैसी परेशानी खड़ी हो जाती हैं. भारी बारिश से सीमांत जिला मुख्यालय में नदी-नाले उफान पर बह रहे हैं. स्कूली बच्चे जान हथेली में रखकर नदी नाले पार कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर पिथौरागढ़ से सामने आई है. यहां बच्चे उफनती नदी के किनारे से स्कूल जाते दिखाई दे रहे हैं.

 

पिथौरागढ़ और चंपावत की सीमा पर घाट क्षेत्र में रामेश्वर मंदिर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग एक दशक बाद भी नहीं बन सका है. जिसका खामियाजा स्कूली बच्चों से लेकर श्रद्धालु भुगत रहे हैं. स्कूली बच्चे आए दिनों जान जोखिम में डालकर उफनती सरयू नदी किनारे पत्थरों पर कूदकर विद्यालय जा रहे हैं रहे हैं. साथ ही छोटी सी चूक बच्चों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है. पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर घाट क्षेत्र में गंगोलीहाट के जीआईसी दुबौला विद्यालय है. इस विद्यालय में वर्तमान में दो सौ से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ रही हैं.

नदी में दो झूला पुल हैं, पुल को लेकर कोई समस्या नहीं है, पुल में आवाजाही होती है. जहां पर वीडियो में बच्चे जाते हुए दिखाई दे रहे हैं, उससे कुछ ही दूरी पर पुल बना है. साल 2013 में क्षतिग्रस्त हुआ पुल के स्थान पर नया पुल का भी निर्माण कर दिया गया था.

बोतड़ी, टिम्टा, नैनी, सितोला गांव में रहने वाले बच्चे भी पढाई के लिए जीआईसी दुबौला पर ही निर्भर हैं, लेकिन वर्तमान में इन गांवों के बच्चों के लिए स्कूल पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है. गांवों को विद्यालय से जोड़ने के लिए सड़क नहीं है. लगभग 3 किमी पैदल चलकर रामेश्वर मंदिर होते हुए छात्र-छात्राएं विद्यालय पहुंचते हैं. बारिश के कारण भूस्खलन से पैदल मार्ग इन दिनों क्षतिग्रस्त है. इस कारण इन गांवों के छात्र-छात्राएं नदी किनारे से होकर विद्यालय पहुंच रहे हैं. इससे ग्रामीणों को दुर्घटना का भय सता रहा है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

 

इन दिनों सरयू नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. अगर कोई हादसा हुआ तो बच्चों की जान पर भी बन सकती है. उन्होंने प्रशासन से पैदल मार्ग को दुरुस्त करने की मांग की है.

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