पिथौरागढ़ में आपदा ने उड़ाई प्रभावितों की नींद, लोग जागकर बिता रहे रात

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में भारी बारिश से आपदा लोगों पर कहर बनकर टूट रही है. वहीं बीते दिनों पिथौरागढ़ जिले के देवतपुरचौड़ा गांव में पहाड़ी से बोल्डर गिरने एक किशोर की मौत हो गई थी. घटना में दो लोग घायल हो गए थे. गांव में स्थित मंदिर और स्कूल को भी नुकसान पहुंचा था. घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत है. ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद रात को नींद नहीं आ रही है, कभी पहाड़ी से पत्थर गिर सकते हैं और वो भय से साए में जी रहे हैं.

 

देवतपुरचौड़ा में पहाड़ी से पत्थर गिरने की संभावना से भयभीत ग्रामीणों ने कलक्ट्रेट पहुंचकर एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा और उचित कार्रवाई की मांग की. इस दौरान प्रभावित ग्रामीणों ने कहा कि पहाड़ी से पत्थरों के गिरने की घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं. सोमवार रात को पहाड़ी से आए बोल्डर से मंदिर, स्कूल व मकान क्षतिग्रस्त हो गए और एक मासूम की दर्दनाक मौत हो गई. घटना में दो लोग घायल हो गए. जिससे ग्रामीणों में भय बना हुआ है. इस दौरान ग्रामीणों ने सुरक्षा के दृष्टिगत उचित कार्रवाई की मांग की.

घटना के बाद पूर्व विधायक चंद्रा पंत, एसडीएम पिथौरागढ़ मंजीत सिंह ने मौका का निरीक्षण किया. देवतपुरचौड़ा पहाड़ी से चट्टान टूटकर बोल्डर गिरने की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पूर्व भी तीन घटनाएं हो चुकी हैं, बावजूद पहाड़ी में लटके बोल्डरों से सुरक्षा को लेकर सरकारी तंत्र गंभीरता नहीं दिखा रहा. जिसका खामियाजा एक बारह साल के मासूम को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. इस घटना से सबक लेकर अगर शीघ्र ही प्रशासन ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो भविष्य में घटना की पुनरावृत्ति होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

पहाड़ी से गिरे बोल्डरों के कारण गांव के प्राथमिक स्कूल को भी नुकसान हुआ है. गांव एक पहाड़ी के नीचे बसा हुआ है. यह पहाड़ी बीते सात वर्षों से दरक रही है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गांव में लगातार पहाड़ी से बोल्डर गिर रहे हैं. पूर्व में घटनाओं के बाद भी प्रशासन ने बोल्डर हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है. 6-7 साल पहले नरेंद्र राम का मकान बोल्डर आने से टूट गया था. बोल्डर आने से पूरन राम की गाय चपेट में आ गई थी. दिनेश कुमार के मकान का एक हिस्सा भी बोल्डर आने से क्षतिग्रस्त हुआ. पहाड़ी पर लटके बोल्डरों के कारण गांव के करीब 60 से अधिक परिवारों को खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों ने पहाड़ी के ट्रीटमेंट की मांग उठाई है.

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