प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत का मरहम लगाया है. योगी के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने रुद्रप्रयाग जिले के आपदाग्रस्त इलाकों के लोगों के लिए 6 ट्रक भरकर खाद्यान्न, राशन किट, तिरपाल और टेंट समेत अनेक आवश्यक सामग्री भिजवाई हैं. रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस राहत सामग्री के लिए आभार जताया है.
यहां आई आपदा: जनपद रुद्रप्रयाग में हुई अतिवृष्टि के कारण तहसील बसुकेदार के बांगर क्षेत्र की ग्राम पंचायतें डुंगर, बड़ेथ, जौला, तालजामण, उछोला, बक्सीर, मथ्या, घंघासु, भुनाल, खोड़, स्यूर, किमाना, दानकोट, पाटियों, डांगी, कुड़ी अदुली, भटवाड़ी, बकोला आदि गंभीर रूप से आपदा प्रभावित हुई हैं. इस विकट परिस्थिति में जिला प्रशासन की ओर से हेलीकॉप्टर सहित विभिन्न माध्यमों से प्रभावित गांवों तक आवश्यक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.
इसी क्रम में प्रभावितों की मदद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संवेदनशील पहल की है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ’आपदा में सबके साथ उत्तर प्रदेश सरकार मुहिम’ के तहत शुक्रवार को प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति एवं परिवार को खाद्यान्न और दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराने के लिए राहत सामग्री से भरे छह ट्रक जनपद मुख्यालय रुद्रप्रयाग में पहुंचाए.
यूपी से 6 ट्रकों में भरकर आई राहत सामग्री: इन ट्रकों में राशन किट, खाद्यान्न सामग्री, तिरपाल, टेंट, बाल्टियां एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं सम्मिलित हैं. इन्हें जिला प्रशासन की देख-रेख में शीघ्र ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजकर स्थानीय ग्रामीणों में वितरित किया जाएगा. इस सहयोग एवं आपदा की घड़ी में तत्परता दिखाने को लेकर जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ का हृदय से धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया है.
बसुकेदार तहसील के अंतर्गत छेनागाड़ में आई आपदा को 16 दिन का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक लापता नौ लोगों का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. प्रशासन की छह मशीनें मलबे को साफ कर लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हुई हैं. खोज एवं बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीआरडीएफ और पुलिस की टीमें पहले दिन से ही पूरी तत्परता से लगी हुई हैं. राहत कर्मी मलबे की गहराई तक पहुंचकर खोज कर रहे हैं. इस दौरान ड्रोन कैमरों और उन्नत उपकरणों की मदद से मलबे के भीतर संभावित स्थानों की पहचान की जा रही है. बड़े-बड़े बोल्डरों के कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है.
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