नई दिल्ली: मोदी सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी. यह आयोग आमतौर पर केंद्र सरकार के सेवारत और रिटायर कर्मचारियों के लिए विभिन्न भत्तों सहित वेतन में संशोधन के लिए हर 10 साल में लागू किया जाता है. हालांकि, एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों के विपरीत, सरकार अभी तक इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाई है.
टर्म ऑफ रिफ्रेंस – जो सैलरी और अन्य पहलुओं में संशोधन का आधार बनेंगी – अभी तक तय नहीं हुई हैं. इतना ही सात महीने बीत जाने के बावजूद आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति अभी भी लंबित है.
इन सबके बीच कर्मचारियों में बेचैनी बढ़ रही है. उन्होंने अपने प्रतिनिधि निकायों और यूनियनों के माध्यम से केंद्र को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग की टर्म ऑफ रिफ्रेंस और अन्य बातों की प्रगति के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है.
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग में देरी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि उसने मंत्रालयों, राज्यों और कर्मचारी संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे हैं और टर्म ऑफ रिफ्रेंस को अंतिम रूप दिए जाने के बाद औपचारिक अधिसूचना यथासमय जारी की जाएगी.
सातवें वेतन आयोग के गठन और सिफारिशों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया पर गौर करें तो इसमें लगभग 3 साल लगे थे. इसमें सभी चरण शामिल हैं – घोषणा, औपचारिक अधिसूचना, सदस्यों की नियुक्ति, रिपोर्ट प्रस्तुत करना और सिफारिशों का कार्यान्वयन.
यूपीए सरकार ने सितंबर 2013 में सातवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी. उस समय, छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 5 साल हो चुके थे. घोषणा के लगभग 5 महीने बाद, वित्त मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग के लिए ToR अधिसूचित कीं.
ToR के जारी होने के ठीक 4 दिन बाद आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई. जस्टिस एके माथुर को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. लगभग एक साल 8 महीने की बैठकों, आंकड़ों के विश्लेषण और सिफारिशों पर चर्चा के बाद, आयोग ने केंद्र सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की.
रिपोर्ट प्राप्त होने के लगभग 7 महीने बाद, सरकार ने 7वें वेतन आयोग की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और इन्हें 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया. इस प्रकार, 7वें वेतन आयोग की घोषणा से लेकर सिफारिशों के कार्यान्वयन तक लगभग 2 वर्ष 9 महीने का समय लगा.
8वें वेतन आयोग के लिए इसका क्या मतलब है?
इसलिए अगर इस साल 16 जनवरी को घोषित 8वां वेतन आयोग, 7वें वेतन आयोग जैसी ही प्रक्रिया अपनाता है, तो संभावना है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 2026 में यह खुशखबरी नहीं मिलेगी. चूंकि पिछला वेतन आयोग कुल 44 महीने चला था, इसलिए 8वें वेतन आयोग का कार्यान्वयन 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत में होने की उम्मीद है.
केंद्र ने इस साल 16 जनवरी को 8वें वेतन आयोग की घोषणा की थी. राष्ट्रीय संयुक्त सलाहकार परिषद (NC-JCM) के कर्मचारी पक्ष ने कैबिनेट सचिव को एक मसौदा प्रस्ताव सौंपा, जिसमें उनकी प्रमुख मांगें सूचीबद्ध थीं. एनसी-जेसीएम सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच संवाद का एक मंच है.
तब से 8वें वेतन आयोग पर ज़्यादा प्रगति नहीं देखी गई है. वर्तमान गति को देखते हुए और पिछले वेतन आयोग से तुलना करने पर, नए वेतन आयोग की सिफारिशें 2028 की शुरुआत तक ही लागू हो पाएंगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि सातवें वेतन आयोग के मामले में, आधिकारिक अधिसूचना की तारीख से लेकर कार्यान्वयन की तारीख तक 27 महीने लग गए थे.
इसलिए, यह मानते हुए कि सरकार इस साल अगस्त में आठवें वेतन आयोग को औपचारिक रूप से अधिसूचित कर देती है, इसकी सिफारिशें वास्तविक रूप से जनवरी 2028 से लागू हो सकती हैं. हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि आठवां वेतन आयोग भी सातवें वेतन आयोग की तरह ही समय-सीमा का पालन करेग.। नए आयोग की सिफ़ारिशें, सिद्धांत रूप में, रिकॉर्ड समय में लागू हो सकती हैं.
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