देहरादून। यूपीसीएल का स्मार्ट मीटर भी बिजली चोरी रोकने में फेल हो गया है। बिजली चोरों ने छह महीने के भीतर ही यूपीसीएल के सुरक्षित स्मार्ट मीटर सस्टिम में सेंध लगा दी।
यूपीसीएल के लोकल स्टाफ की मिलीभगत से लेकर मुख्यालय स्तर पर बनाए गए निगरानी सिस्टम की भी ऐन मौके पर आंखे बंद हो गई। बिजली का स्मार्ट मीटर लगाए जाने के दौरान तमाम दावे किए गए। ऐलान किया गया कि अब बिजली चोर स्मार्ट मीटर लगने के
आठ साल पहले इसी सब स्टेशन का खुला थाराजा
बाद एक यूनिट तक बिजली चोरी नहीं कर सकेंगे। ऐसा करने की सोचेंगे भी तो तत्काल स्मार्ट मीटर का मीटर डाटा मैनेजमेंट सस्टिम मुख्यालय स्तर पर इसकी सूच सूचना उपलब्ध करा देगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रुड़की नारसन सब स्टेशन में मंगलवार सुबह चार बजे बिजली चोर स्थानीय स्टाफ की
रुड़की में बिजली चोरी का खुलासा आठ साल पहले तत्कालीन मुख्य अभियंता हरिद्वार आरएस बर्फाल ने किया था। उन्होंने बाकायदा बिजली चोरी का बिदुवार खुलासा करते हुए शासन को एक गोपनीय पत्र भेजा। इसमें बिजली चोरी को स्वीकार किया। इस बिजली चोरी में शामिल इंजीनियरों का नाम सहित उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह बिजली चोरी कर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस रिपोर्ट पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई।
मिलीभगत से स्मार्ट मीटर में सेंध लगवा रहे थे, तब मुख्यालय पर बने निगरानी सस्टिम को क्यों इस टेंपरिंग की सूचना नहीं मिल पाई। इससे साफ है कि किसी स्तर पर रियल टाइम मानिटरिंग नहीं हो रही है। अधिशासी अभियंता के लंबे अवकाश पर होने के बावजूद चार्ज किसी दूसरे डिवीजन के ईई को देने की भी
बिजली चोरी रुके तो सस्ता हो बिजली का बिल
देहरादून। यूपीसीएल यदि सालाना बिजली चोरी को रोकने में सफल रहे, तो इससे बिजली उपभोक्ताओं का बिजली बिल 700 करोड़ रुपए कम हो जाएगा। बिजली का बिल सस्ता हो जाएगा। रुड़की और काशीपुर सर्किल के सबसे बड़े बिजली चोरों के कारण हर साल उपभोक्ताओं और राज्य को चपत लग रही है। यहां लंढौरा, मंगलौर, धनौरी, नारसन, पुहाना, रायपुर सब डिवीजन में सबसे अधिक नुकसान पहुंच रहा है।
बजाय एसडीओ को दिए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
एक ही कैंपस में दो सब स्टेशन से कनेक्शनः यूपीसीएल ने एक ही कैंपस में बनी दो फैक्ट्रियों दो फैक्ट्रियों को दो अलग अलग सब स्टेशन से विजली कनेक्शन दिए हैं। एक कनेक्शन 100 मीटर की दूरी पर स्थित काई सब स्टेशन से दिया गया। काई सब स्टेशन पूरी तरह उद्योगों के लिए है। दूसरा कनेक्शन तीन किमी दूर नारसन सब स्टेशन से दिया गया। जानकारों के अनुसार ग्रामीणों से जुड़े सब स्टेशन में बिजली चोरी के लॉसकी गणना छोटे बिजली उपभोक्ताओं में कर आंखों में धूल झोंकने का काम किया जाता है।
36 गंभीरता से लिया जा रहा इस पूरे मामले को बेहद है। इसकी वस्तृित जांच कराई जा रही है। जो लोग भी इस पूरे मामले में संलप्ति पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है। – अनिल कुमार, एमडी यूपीसीएल
ऐसे हो रही बिजली चोरी
मीटर की टर्मिनल प्लेट को शॉर्ट किया जाता है। जैमर, चिप से गड़बड़ र में रिमोट वाला की जाती है। मीटर में रेडियो प्रक्वेिंसी सर्किट तक लगा दिया जाता है। रिमोट से सर्किट ऑन होने पर मीटर में बिजली खपत दर्ज नहीं होती।













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