“उद्योग और अकादमिक जगत के बीच अंतर को पाटना: फार्मास्यूटिकल साइंसेज का सतत भविष्य।”
इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य यह समझना था कि शैक्षणिक और औद्योगिक सहयोग किस प्रकार फार्मा सेक्टर में अनुसंधान, नवाचार और भविष्य की कार्यशक्ति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुख्य अतिथि ने कही बड़ी बातें
मुख्य अतिथि प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूकोस्ट, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तराखंड सरकार ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि—
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भारत की वैज्ञानिक पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने में अंतःविषयक समन्वय और नवाचार आधारित सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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अकादमिक–उद्योग साझेदारियाँ ट्रांसलेशनल रिसर्च को गति देती हैं और क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय विकास को मजबूत बनाती हैं।
ऑडिटोरियम में दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ प्रो. दुर्गेश पंत, विश्वविद्यालय कुलपति डा. प्रथप्पन के. पिल्लई और कन्वीनर डा. दिव्या जुयाल ने संयुक्त रूप से किया।
500 से अधिक छात्रों की भागीदारी | 120 मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतीकरण
सम्मेलन में देशभर के विभिन्न राज्यों और उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 500 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में 120+ मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ शामिल की गईं। समापन सत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों को पुरस्कार दिए गए।
यह कार्यक्रम भारत सरकार के DST–ANRF के आर्थिक सहयोग से आयोजित हुआ तथा अल्केम लेबोरेट्रीज, इंटास फार्मास्यूटिकल्स, चिनार फार्मा, एबी कंसल्टेंसी, शिवनितिन एजेंसीज, अरिटो फार्मा और आरिन हेल्थकेयर प्रा. लि. सहित कई प्रमुख फार्मा कंपनियाँ प्रायोजक रहीं।
विशिष्ट अतिथियों ने रखे विचार
फार्मेसी शिक्षा के आधुनिकीकरण पर जोर
विशिष्ट अतिथि प्रो. मिलिंद जनराव उमेकर, अध्यक्ष, APTI ने बताया कि—
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फार्मेसी शिक्षा को उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप अपडेट होना आवश्यक है।
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ऐसे सम्मेलन छात्रों को रियल–वर्ल्ड एक्सपोज़र प्रदान करते हैं।
नियामक जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण
प्रो. दीपेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, शिक्षा विनियमन समिति, PCI ने कहा—
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फार्मेसी शिक्षा में नियामक समझ और दक्षता आधारित प्रशिक्षण आवश्यक है।
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संस्थानों को वैश्विक मानकों के अनुरूप स्वयं को तैयार करना चाहिए।
अनुसंधान एवं उद्यमिता को बढ़ावा
प्रो. रोहित दत्त, उपाध्यक्ष, APTI ने कहा—
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नवोदित फार्मासिस्टों में अनुसंधान, स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता की संस्कृति विकसित होना समय की मांग है।
चार तकनीकी सत्र: विशेषज्ञों ने दिए आइडियाज
सम्मेलन के दौरान देशभर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों द्वारा चार विशेष तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। प्रमुख विषय थे—
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फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी में नवीन प्रगति
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बदलता नियामक परिदृश्य
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फार्मा सेक्टर में भविष्य की प्रतिभा की आवश्यकता
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दवा विकास में नवाचार
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे मंच इंटर्नशिप, रिसर्च कोलैबोरेशन, इंडस्ट्रियल एक्सपोज़र और उद्यमशील अवसरों को बढ़ावा देते हैं।
विभिन्न राज्यों से प्राचार्य और निदेशकों की भागीदारी
सम्मेलन में उत्तराखंड सहित कई राज्यों के फार्मास्यूटिकल संस्थानों के प्राचार्यों, निदेशकों और अकादमिक बोर्ड सदस्यों ने अपनी विशेषज्ञता साझा की।
कार्यक्रम को सफल बनाने में—
प्रो. दिव्या जुयाल (डीन), प्रो. योगेश जोशी, प्रो. जी. ज्ञानराजन, श्री अजय सिंह बिष्ट तथा संपूर्ण फैकल्टी एवं स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
देश के सात राज्यों से आए आठ विशिष्ट विशेषज्ञों ने छात्रों व संकाय को बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।












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