देहरादून : उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर भगवती प्रसाद नौटियाल का मंगलवार को निधन हो गया। यह संपूर्ण उत्तराखंड के लिए एक बुरी खबर है। डॉक्टर भगवती प्रसाद पूर्ण तरह से पहाड़ को समर्पित थे जो आज दुनिया को अलविदा कह गए डॉक्टर प्रसाद नाबार्ड के महाप्रबंधक रहे, उद्यान विभाग में निदेशक और भरसार विश्वविद्यालय में डीन के पद पर भी रहे थे।
डॉक्टर नौटियाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कहा जाता है उन्होंने ही श्रीदेव सुमन पर पहला नाटक लिखा और 1980 के दशक में मंचन भी करवाया।
कुछ समय पहले ही वे सरकारी सेवानिवृत्ति हुए थे जिसके बाद वे अध्यन में लगे रहे। डॉक्टर नौटियाल ने नाबार्ड में मैनेजर रहने के दौरान टिहरी में शिल्पी इंपोरियम जैसे विशिष्ट इनोवेशन की स्थापना की थी।
डॉक्टर नौटियाल का जन्म टिहरी जिले के सेमल्थ गांव में हुआ था उनके पिता का नाम परमानंद शास्त्री था उनके पिता की पढ़ाई लाहौर से पूरी हुई थी। इनके पिता भी शिक्षक रहे है। डॉक्टर नौटियाल की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज घुमेटीधार से हुई और फिर उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से एमएससी वनस्पति विज्ञान किया।
भरसार परिसर के विस्तार और चिरबटिया परिसर की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसकी बहुत चर्चा नहीं हुई। वे ख़ामोशी के साथ काम करते रहे और अब अचानक खामोशी के साथ उनका जाना पहाड़ के लिए अपूरणीय क्षति कही जा सकती है.















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