अलविदा घनानंद उर्फ घन्ना भाई,सबको हंसाते हंसाते घनानंद हुए मौन

देहरादून : उत्तराखंड के जाने माने हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई  का आज दोपहर करीब 12 बजे इंद्रेश अपस्ताल में निधन हो गया । उनके जाने से उत्तराखंड को अपूर्णीय क्षति पहुंची है। उत्तराखंड कला जगत एवं संगीत जगत के कई प्रसिद्ध कलाकारों जैसे गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, स्वर कोकिला मीना राणा, अनिल बिष्ट, ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

अस्पताल में चल रहा था उपचार 

बीते कुछ दिनों से घनानंद की तबियत बहुत गंभीर थी, देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था लेकिन कल उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने से उन्हें आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया, डॉक्टरों द्वारा लगातार उनको बचाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। मंगलवार करीब 12 बजे  घनानंद ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली और वे हम सबको अलविदा कह गए।

घनानंद का जीवन परिचय

आपको बता दें कि घनानंद उर्फ घन्ना भाई ने कई गढ़वाली फिल्म और म्यूजिक एलबम में काम किया है। गगवाड़स्यूं पट्टी के गगवाड़ा गांव में 4 अगस्त 1953 को जन्मे घनानंद घन्ना उत्तराखंड के जाने-माने हास्य कलाकार थे। उनकी शिका-दिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन जिला पौड़ी से हुई,घन्ना भाई ने अपनी कलाकारी का सफर 1970 में रामलीलाओं में नाटकों से किया। 1974 में घनानंद ने रेडियो और फिर बाद में दूरदर्शन पर कार्यक्रम दिए। उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है। जिनमें घरजवें,चक्रचाल,बेटी-ब्वारी,जीतू बगडवाल,सतमंगल्या,ब्वारी हो त यनि प्रमुख है। इसके साथ ही उन्होंने कई हास्य नाटकों में दमदार अभिनय किया। जिनमें घन्ना भाई एमबीबीएस,घन्ना गिरगिट और यमराज एवं पोल्या बणी बोल्या प्रमुख है।

 

घनानंद का राजनीतिक जीवन 

घनानंद घन्ना ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। वह भाजपा के टिकट पर 2012 में पौड़ी से विधानसभा चुनाव भी लड़े थे लेकिन इसमें वह चुनाव हार गए थे। वह उत्तराखंड संस्कृति,साहित्य और कला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे। उन्हें उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।

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