विनाग्नि को रोकने के लिए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के नेतृत्व में एकत्रित किए गए पिरूल

 

वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने एक महत्वपूर्ण नवाचार पहल के तहत पिरूल संकलन अभियान की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य जंगलों से सटे कार्यालयों, बसावटों तथा सार्वजनिक परिसंपत्तियों को आग से सुरक्षित करना है।

 

गत दिवस देर सायं जिलाधिकारी ने जिला मुख्यालय के निकट चीड़ वन क्षेत्र से लगे विकासखण्ड कार्यालय परिसर के पास अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ श्रमदान कर पिरूल संकलन किया। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार सफाई और पौधरोपण अभियानों को जनसहभागिता से सफल बनाया गया, उसी प्रकार इस अभियान को भी चलाया जाएगा।

 

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि सभी विभागीय अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में पिरूल संकलन हेतु योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि चीड़ के वृक्षों से गिरने वाली सूखी पत्तियां (पिरूल) वनाग्नि का प्रमुख कारण होती हैं, जिन्हें समय रहते हटाकर संभावित क्षति से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में घरों, विद्यालयों, कार्यालयों और अन्य परिसंपत्तियों के आसपास पिरूल संकलन अभियान राजस्व व वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों की देखरेख में चलाया जाए।

 

इस नवाचार पहल के तहत लगभग 12 बोरे (70-80 किलो) पिरूल संकलित किए गए, जिससे विकासखण्ड कार्यालय को संभावित वनाग्नि से सुरक्षित किया गया। संकलित पिरूल को जिलाधिकारी सहित अधिकारियों द्वारा स्वयं कार्यालय परिसर तक पहुंचाया गया। साथ ही, पिरूल को प्रोसेसिंग यूनिट तक ले जाने हेतु नगर पालिका पौड़ी के अधिशासी अधिकारी व खंड विकास अधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।

 

इस अभियान में संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र शेठ, परियोजना निदेशक डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, जिला विकास अधिकारी श्रीमती मनविंदर कौर, जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी राम सलोने, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका शांति प्रसाद जोशी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विशाल शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र थपलियाल, तहसीलदार दिवान सिंह राणा, खण्ड विकास अधिकारी सौरभ हांडा सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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