देहरादून: राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर पंजीकृत संस्थाओं की ओर से की गई अनियमितताओं और फर्जी दस्तावेजों के जरिए छात्रवृत्ति राशि के गबन के मामले पर राज्य सरकार गंभीर हो गई है. इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन के निर्देश दिए हैं. शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि कुछ संस्थाओं ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति प्राप्त की है. इनमें कुछ मदरसे, संस्कृत विद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थाएं शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा.
केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए 2021-22 और 2022-23 सत्र के आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल 92 संस्थाएं संदेह के घेरे में हैं. इनमें से 17 संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिक जांच में छात्रवृत्ति गबन की पुष्टि हुई है. इन संस्थाओं में कुछ मामलों में विद्यार्थियों की संख्या, पहचान पत्र (आधार कार्ड) और निवास संबंधी दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं. उधमसिंह नगर जिले में सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल और रुद्रप्रयाग में वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय जैसे संस्थानों में अनियमितता पाई गई है. इसके अलावा, नैनीताल, हरिद्वार और अन्य जिलों की संस्थाएं भी जांच के दायरे में हैं.
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी इस मामले की गहराई से जांच करेगी. छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त संस्थाओं के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी समीक्षा की जाएगी. केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में सात बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए गए हैं. इनमें फर्जी मामलों की पहचान कर संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज करना भी शामिल है.
प्रदेश में छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.
दरअसल उत्तराखंड में एक और छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है. इसमें सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल को कागजों में अल्पसंख्यक विद्यालय यानी ‘मदरसा’ दिखाकर छात्रवृत्ति ले ली गई है. 17 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा विद्यालयों को दी जाने वाली छात्रवृति में घोटाले की खबर सामने आने के बाद ही सीएम धामी ने इसकी जांच के आदेश दे दिए थे. जांच की जिम्मेदारी विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, डॉ. पराग मधुकर धकाते को सौंपी गई थी.
ऐसे हुआ घोटाले का भंडाफोड़: उधम सिंह नगर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज अल्पसंख्यक छात्रवृति आवेदकों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए उधम सिंह नगर जिले के 796 बच्चों के डॉक्यूमेंट्स की डिटेल मांगी गई थी. इनमें से 6 मदरसों में पढ़ने वाले 456 बच्चों के बारे में जानकारी संदिग्ध पाई गई. चौंकाने वाली बात ये थी कि इन स्कूलों में सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा का नाम भी शामिल है. इस विद्यालय का संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक को बताया गया है. राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल में दिखाया गया है कि यहां 154 मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं. गौरतलब है कि सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय अल्पसंख्यक विद्यालय में नहीं आता है. इसी तरह काशीपुर के नेशनल अकादमी जेएमवाईआईएचएस में पढ़ने वाले 125 मुस्लिम छात्रों और इसके संचालक गुलशफा अंसारी, मदरसा अल जामिया उल मदरिया के 27 बच्चों और उसके संचालक मोहम्मद फैजान का सत्यापन कराने के भी निर्देश दिए गए हैं.
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना चलाई जाती है. इसके तहत माइनॉरिटी के छात्रों को पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद दी जाती है. इस योजना के तहत क्लास 1 से 10 तक स्कॉलरशिप दी जाती है. इससे छात्रों को पढ़ाई जारी रखने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है. इस छात्रवृत्ति योजना में एडमिशन फीस, पढ़ाई की फीस और भरण-पोषण भत्ता मिलता है. इसके साथ ही मान्यता प्राप्त संस्थानों में पढ़ रहे क्लास 11 और उससे ऊपर की कक्षाओं के माइनॉरिटी छात्रों के लिए ये योजना शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क और अन्य शैक्षणिक शुल्क उपलब्ध कराती है.
अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति घोटाले में सेकंड राउंड वेरिफिकेशन शुरू होने जा रहा है. इसमें उत्तराखंड के 72 कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों का फिर से सत्यापन किया जाएगा. इससे पहले प्रदेश के 17 कॉलेजों में छात्रों की छात्र संख्या को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आया था.
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