पिथौरागढ़: सीमांत जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं. अब जनता में यह जानने की उत्सुकता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष कौन बनेगा. यहां भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर रणनीति तेज कर दी है तो वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है, जबकि निर्दलियों की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सभी इस पर वेट एंड वाच की स्थिति में हैं और आरक्षण से संबंधित आपत्तियों के निपटारे के बाद ही हलचल की उम्मीद है. पिथौरागढ़ जिला पंचायत में सदस्यों की 32 सीटें हैं. जबकि इस बार पंचायत चुनाव में जिले में बीजेपी के 15 और कांग्रेस के सिर्फ 6 समर्थित प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की है. जिसके कारण निर्दलीय सदस्यों की भूमिका किंगमेकर की होगी.
अनुसूचित जाति के जिला पंचायत सदस्यों में से सात सदस्य चुने गए हैं, जिसमें पांखू से भाजपा विचारधारा से विमला देवी, चहज से निर्दलीय राहुल कुमार, सुरखाल से कांग्रेस समर्थित ममता चन्याल, भटयूड़ा से भाजपा समर्थित जितेंद्र प्रसाद, बाराकोट भाजपा समर्थित भावना चन्याल, और दिगरा मुवानी से निर्दलीय हेमंत कुमार शामिल हैं. इनमें चार महिला और तीन पुरुष सदस्य हैं. सात में से तीन सदस्य भाजपा के अधिकृत हैं, जबकि दो भाजपा पृष्ठभूमि के हैं. एक सदस्य कांग्रेस से और एक निर्दलीय है. अभी तक किसी भी दावेदारी का खुलासा नहीं हुआ है. जिससे आम जनता में यह चर्चा है कि अध्यक्ष कौन बनेगा. पिथौरागढ़ जिला प्रदेश की राजनीति का मुख्य केन्द्र बिंदु भी है.
प्रदेश के सीएम पुष्कर धामी का गृह क्षेत्र पिथौरागढ़ जनपद में ही है. जबकि पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल का पंचायत में अहम भूमिका मानी जाती है. पांखू सेरा से जिले में सबसे अधिक 3 हजार मतों से जितने वाली जिला पंचायत सदस्य विमला देवी को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. विमला देवी को भाजपा से टिकट नहीं मिला, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने जीत दर्ज की है.
विमला देवी के पति दिनेश आर्या भाजपा के अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश मंत्री समेत कई राज्यों में लोकसभा चुनाव और विधानसभा प्रभारी रहने के साथ बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं. जिसका लाभ विमला देवी को मिल सकता है. बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में कांग्रेस बीजेपी के पास जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं हैं. जहां बीजेपी के 15 और कांग्रेस के सिर्फ 6 समर्थित प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की है. जिस कारण अध्यक्ष बनाने के लिए निर्दलीय सदस्यों की भूमिका किंगमेकर की होगी.
Leave a Reply