उत्तराखंड की कठिन राहें, सीमित संसाधन और तमाम चुनौतियां भी उन युवाओं के हौसलों को नहीं रोक पातीं, जो अपने सपनों को सच करने की ठान लेते हैं. चमोली जिले के छोटे से गांव मजोठी की बेटी मानसी नेगी इसका जीवंत उदाहरण हैं. कठिनाइयों से जूझती मानसी ने ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो आज पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है. मानसी नेगी को खेल विभाग पौड़ी में असिस्टेंट कोच की जिम्मेदारी दी गई है.
मानसी की शुरुआती पढ़ाई चमोली के साधारण स्कूलों में हुई. बचपन से ही पढ़ाई और खेल दोनों में अव्वल रहने वाली मानसी ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई देहरादून से की. यहीं पढ़ाई के साथ उन्होंने खेलों की तैयारी भी शुरू की. इसी दौर में उनके पिता का साया उनके सिर से उठ गया. गम के इस भारी पल को उन्होंने कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी सबसे बड़ी ताक़त बना लिया. आज मानसी नेगी खेल विभाग पौड़ी में असिस्टेंट कोच के पद पर कार्यरत हैं. यह जिम्मेदारी उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से दी गई है. साथ ही वह यहां हाई एल्टीट्यूड रांसी स्टेडियम पौड़ी में भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए जी-जान से मेहनत कर रही हैं.
उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि उन्हें तीलू रौतेली पुरस्का जैसे बड़े सम्मान से नवाज़ा जा चुका है. मानसी नेगी कहती हैं-
पहाड़ की पगडंडियां ही उनकी पहली प्रशिक्षण पाठशाला रही हैं. रोज़ाना स्कूल जाना और घर के काम संभालना ही उनके लिए फिटनेस का अभ्यास बन गया. यही कारण है कि आज वह कठिन ट्रैक पर भी आत्मविश्वास के साथ दौड़ती हैं.
मानसी नेगी, एथलीट
मानसी नेगी की कहानी यह साबित करती है कि हिम्मत और मेहनत के सामने पहाड़ जैसी चुनौतियाँ भी छोटी पड़ जाती हैं. वह आज न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं
प्रभारी जिला क्रीड़ा अधिकारी जयवीर रावत ने बताया पौड़ी का रांसी मैदान वर्तमान में विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक खिलाड़ी अभ्यास और प्रशिक्षण के लिए उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा पहाड़ की बेटी मानसी नेगी ने कड़ी मेहनत कर उत्तराखंड और भारत का नाम रोशन किया है. प्रदेश सरकार ने मानसी की उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें खेल विभाग पौड़ी में असिस्टेंट कोच के पद पर नियुक्त किया है. इसके साथ ही वह रांसी मैदान में आगामी प्रतियोगिताओं की तैयारी भी कर रही हैं.
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