AI भारत के लिए एक बड़ा अवसर, इकोनॉमी 8.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती’: नीति आयोग

भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) न केवल एक बड़ा आर्थिक अवसर है, बल्कि यह विकसित भारत (विकसित भारत 2047) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी जरूरी है. नीति आयोग और नीति फ्रंटियर टेक हब की हालिया रिपोर्ट “AI for Viksit Bharat: The Opportunity for Accelerated Economic Growth” के अनुसार, AI भारत की आर्थिक वृद्धि को तेज कर सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत 5.7% की मौजूदा विकास दर पर चलता रहा, तो 2035 तक देश का जीडीपी 6.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. लेकिन AI की मदद से उत्पादकता और नवाचार बढ़ाकर यह 8.3 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकता है. इसका मतलब है कि AI भारत के विकास अंतर को 30% तक कम कर सकता है और अर्थव्यवस्था में 1.1 से 1.4 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 10 वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में AI से 17-26 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि होगी. भारत, अपनी बड़ी STEM कार्यबल, मजबूत डिजिटल ढांचे और बढ़ते अनुसंधान और विकास (R&D) पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, इस अवसर का 10-15% हिस्सा हासिल कर सकता है. इससे भारत की अर्थव्यवस्था में 2-3 ट्रिलियन डॉलर का योगदान हो सकता है.

 

नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने कहा, “अगर भारत को अपनी विकास दर को 8% वार्षिक तक बढ़ाना है, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, तो हमारे पास अर्थव्यवस्था में उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि करने और नवाचार के माध्यम से नई वृद्धि को गति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. AI निर्णायक भूमिका निभा सकती है. यह रिपोर्ट एक व्यावहारिक रोडमैप प्रस्तुत करती है कि हम इस क्षमता को परिणामों में बदलने के लिए AI का कैसे उपयोग कर सकते हैं.”

उद्योगों में AI का उपयोग: बैंकिंग, विनिर्माण, रिटेल, लॉजिस्टिक्स और सेवा क्षेत्रों में AI उत्पादकता बढ़ा सकता है, जिससे विकास अंतर का 30-35 प्रतिशत कम हो सकता है.

 

जेनरेटिव AI से R&D में बदलावः जेनरेटिव AI से सेमीकंडक्टर, दवा, ऑटो, इलेक्ट्रिक वाहन और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में लागत कम होगी और नवाचार तेज होगा.

 

तकनीकी सेवाओं में नवाचारः भारत का IT उद्योग AI को अपनाकर वैश्विक सेवाओं में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है.

वर्तमान में, भारत की अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. 5.7% की वृद्धि दर स्थिरता सुनिश्चित करती है, लेकिन यह विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त है. नीति आयोग का तर्क है कि यदि एआई को रणनीतिक रूप से लागू किया जाए तो 8% की आकांक्षी वृद्धि दर संभव है.

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ने नीति आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट जारी करने के बाद कहा, “हम ऐसा नियमन नहीं चाहते जो तकनीक को ही ख़त्म कर दे. हम नियमन चाहते हैं क्योंकि हम एक ज़िम्मेदार अनुप्रयोग चाहते हैं.” एआई एक तेज़ी से प्रगति करने वाली, वास्तविक समय में गतिशील चीज़ है और इसलिए हम सभी को सचेत रहना होगा कि हम नैतिकता से पीछे न हटें क्योंकि एआई की अपनी चुनौतियां भी हो सकती हैं.

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