वन विभाग लेने जा रहा यह फैसला, परिजनों को नोकरी देने की तैयारी।
उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से जितना खूसबूरत है उतनी ही कठिन इसकी भौगोलिक परिस्थितियां है ऊंचे पहाड़ घने वन संकरे रास्ते, रोजमर्रा का जीवन जीने के लिए बेहद ही चुनौतीपूर्ण रहते है ऐसे में उत्तराखंड की वन संपदा की सुरक्षा करने वाले वनकर्मियों को तमाम चुनौतियों के साथ कार्य करना पड़ता है जिनमें दो चुनौतियां बहुत बड़ी साबित हुई हैं
पहली वन और वन्य जीवों की सुरक्षा और वन्य जीवों से अपनी सुरक्षा दूसरी वनों में लगने वाली आग पर काबू पाना को की बेहद ही कठिन चुनौती हैं। ऐसे में कई बार अपनी जिम्मेदारी निभाते हुई वनकर्मियो को अपनी जान भी गवानी पड़ती है। हाल ही में हुई कुमाऊं क्षेत्र के बिनसर की घटना इसका ताजा उदाहरण है जिसमें 6 वनकर्मी आग पर काबू पाने के दौरान जलकर मर गए।
हर साल वनकर्मियोंं को वन्य जीवों के हमले और आग बुझाने के दौरान अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता हैं। आंकड़ों की बात करें तो इस साल लगभग 8 से 9 वन कर्मियों की जंगल में आग बुझाने और वन्य जीवों से संघर्ष के दौरान मृत्यु हो चुकी है। ओर अगर बात करें पिछले 5 साल की तो यह आंकड़ा सीधे 18 पर पहुंच जाता है।
परिजनों को मिलेगी नोकरी
वन विभाग अब नए प्रस्ताव की तैयारी कर रहा है ।इस प्रस्ताव के अंतर्गत वन विभाग में कार्य करने वाले कर्मचारी ड्यूटी के दौरान वनाग्नि ओर वन्य जीवों से संघर्ष में उनकी मृत्य हो जाती है तो उनके परिजनों को उनकी जगह सरकारी नोकरी दी जाएगी बताया जा रहा है की इसमें संविदा तथा आउटसोर्स के कर्मचारी भी शामिल होंगे।
हालांकि, प्रस्ताव में कर्मचारी की आयु को लेकर भी प्रावधान किए जाने की चर्चा है, जिसके तहत ऐसी घटना में शिकार होने वाले वनकर्मी की अधिकतम आयु को भी तय किया जा रहा है. वहीं, वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और आने वाले दिनों में इस प्रस्ताव को कैबिनेट से भी मुहर लगवाई जाएगी.