56 साल बाद अपने पैतृक गांव लाया जायेगा शहीद का पार्थिव शरीर

चमोली : आपको बता दें भारतीय वायु सेना के AN –12–BL –534 विमान ने  7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी  लेकिन हिमाचल के रोहतांग दर्रे के पास विमान का संपर्क टूट गया और फिर आगे बातल के ऊपर चंद्रभागा रैंज में विमान क्रैश हो गया था. विमान में कुल 102 जवान सवार थे, विमान क्रेश में अभी तक किसी भी जवान का शव प्राप्त नहीं हुआ था

 इस हादसे में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर अभी तक नहीं मिले हैं। हालांकि अब करीब 56 साल बाद चारों जवानों के पार्थिव शरीर सेना ने बरामद कर लिए है । जिनमें से एक उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायण सिंह का है। नारायण सिंह का पार्थिव शरीर करीब 56 साल बाद अपने घर पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

                     स्व.बसंती देवी : नारायण सिंह की पत्नी

सेना के अधिकारी द्वारा बताया गया की नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोरे में तैनात थे। शहीद नारायण का परिवार चमोली जिले के कोलपूड़ी गांव में रहता हैं। कोलपूडी गांव के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह, नारायण सिंह के भतीजे हैं। उन्होंने बताया कि उनके ताऊ नारायण सिंह शादी साल 1962 में बसंती देवी से हुई थी। तब बसंती देवी की उम्र करीब 9 साल थी। साल 1968 में नारायण सिंह का विमान हादसे में शहीद हो गए थे।

जयवीर सिंह ने बताया कि बसंती देवी को उम्मीद थी कि उनके पति जरूर घर लौटेंगे, लेकिन वक्त बीतने के साथ उम्मीद भी खत्म होती चली। नारायण सिंह के वापस आने की उम्मीद छोड़ चुके परिजनों ने बसंती देवी की शादी भवान सिंह से करा दी। भवान सिंह, नारायण सिंह के छोटे भाई हैं और जयवीर सिंह के पिता हैं। जयवीर सिंह ने बताया कि सेना की तरफ से अभी तक बसंती देवी को कोई सुविधा नहीं मिली है। जयवीर सिंह के मुताबिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार तक गांव पहुंचेगा। उसके बाद ही सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शहीद नारायण सिंह के भतीजे
                         शहीद नारायण सिंह के भतीजे

 

इससे  पहले 2003 में भी पांच जवानों के पार्थिव शरीर मिले थे। साल 2018 में भी एक जवान का पार्थिव शरीर बरामद हुआ था। वहीं अब 56 साल बाद चार और जवानों के पार्थिव शरीर मिले है।

तीन जवानों की हुई पहचान

इस बार मिले चार शवों में से तीन शव सही सलामत मिले हैं जबकि चौथे के अवशेष मिले हैं। तीन सैन्यकर्मियों की पहचान उनके पास मिले दस्तावेजों से हो पाई है। ये जवान हैं सिपाही नारायण सिंह (एएमसी), मलखान सिंह (पायनियर कोर) और थॉमस चेरियन (सीईएमई)।

 

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