कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में जनरल अनिल चौहान की सेवा के विस्तार को मंजूरी दे दी है. इस फैसले से वह 30 मई, 2026 तक या अगले आदेश तक भारत सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार जनरल चौहान को 28 सितंबर, 2022 को सीडीएस नियुक्त किया गया था. जनरल चौहान 1981 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त हुए थे और प्रमुख कमान एवं स्टाफ नियुक्तियों के साथ उनका एक विशिष्ट और शानदार करियर रहा है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय सेना के प्रति उनकी अनुकरणीय सेवाओं के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था.
इस बीच रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि त्रि-सेवा अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (टी-एसएटीएस) का उद्घाटन संस्करण सोमवार को मानेकशॉ सेंटर नई दिल्ली में शुरू हुआ. इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विशिष्ट और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सेवा-अकादमिक अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र का समन्वय किया गया.
संगोष्ठी का उद्घाटन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), जनरल अनिल चौहान ने किया. इस कार्यक्रम में शैक्षणिक और प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के निदेशकों और विभागाध्यक्षों के साथ-साथ आईआईएससी, आईआईटी, आईआईआईटी और निजी प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित 62 संस्थानों के छात्रों ने भाग लिया.
अपने संबोधन में सीडीएस ने आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला. उन्होंने भविष्य की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विभिन्न प्लेटफार्मों, हथियारों और नेटवर्कों में सिद्धांतों और स्वदेशी क्षमताओं के विकास में शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स और उद्योग जगत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया.
उन्होंने एक समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया और शिक्षा जगत से नवाचार को बढ़ावा देने और भारत को अगली पीढ़ी की रक्षा प्रौद्योगिकियों में वैश्विक अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया. सीडीएस ने एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया.
इसमें शिक्षा जगत द्वारा चयनित 43 नवीन प्रदर्शनियाँ प्रदर्शित की गई. इन नवाचारों का मूल्यांकन तीनों सेनाओं के विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों द्वारा उनके संभावित सैन्य अनुप्रयोगों के लिए किया गया. भविष्य में अनुसंधान एवं विकास सहयोग और वित्तीय सहायता के लिए आशाजनक परियोजनाओं पर विचार किया जाएगा













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