रुद्रप्रयाग: दुनिया के सबसे ऊंचे और कठिन ट्रेक में शामिल बाली पास दर्रे को 4 सदस्यीय दल ने सफलतापूर्वक पार कर लिया है. दल ने मात्र चार दिनों में यह अभियान पूर्ण किया. शिक्षक नवीन जोंटी सजवाण ने बताया कि उनका दल उत्तरकाशी के गंगाड़ गांव से देवसू बुग्याल, रुइनसारा, उड्यारी और यमुनोत्री धाम होकर सकुशल जानकी चट्टी पहुंच गया है.
अभियान दल में शामिल रुद्रप्रयाग बसुकेदार के नवीन जोंटी सजवाण ने बीते 29 मई की सुबह बेस कैंप से मात्र 45 मिनट में बाली पास दर्रे को सफलता पूर्वक पार किया. दल के अन्य सदस्य मुकेश मंजुल शर्मा ने मात्र 55 मिनट में पास को पार किया
.उच्च हिमालय क्षेत्र में कई दुर्गम ट्रेक कर चुके नवीन जोंटी सजवाण ने बताया कि जून 2023 में भी वे बाली पास अभियान के लिए गए थे. लेकिन लगातार खराब मौसम के कारण निराश होकर उनको रुइनसारा झील से वापस आना पड़ा था.
इस बार भी अभियान दल को बेस कैंप में लगातार तूफान और बर्फबारी का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि कठिन साहसिक यात्रा के साथ ही यह उनकी धार्मिक यात्रा भी रही. कठिन परिस्थितियों के बावजूद बाली पास दर्रे को पार करते हुए वह यमुनोत्री धाम होकर जानकी चट्टी पहुंचने में सफल रहे.
नवीन जोंटी सजवाण ने बताया कि लगातार बर्फबारी के बावजूद लगभग आठ दिनों के इस अभियान को उनके दल ने मात्र चार दिनों में पूरा किया है. इस दल में उच्च हिमालयी क्षेत्र में पर्वतारोहण व ट्रैकिंग के शौकीन रुद्रप्रयाग जनपद के बसुकेदार निवासी नवीन जोंटी सजवाण सहित ऋषिकेश के मुकेश मंजुल शर्मा, जयपुर के दिलीप नाजकानी और विजय ठाकुर शामिल हैं.
उत्तरकाशी जिले में स्थित 16200 फीट पर मौजूद यह बाली पास ट्रेक हर की दून घाटी को यमुनोत्री धाम से जोड़ता है. लगभग 60 किमी लंबे इस ट्रेक में रोमांच से भरपूर खतरनाक ग्लेशियर और बाली पास दर्रे को पार करना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा माना जाता है. हिमालय की कंदराओं, खतरनाक चट्टानों और ग्लेशियर के ऊपर से गुजरने वाले इस ट्रेक पर साहसिक और रोमांच के शौकीन ट्रैकर काला नाग, बंदर पूंछ, स्वर्गारोहिणी की सुंदर बर्फीली चोटियों और सुंदर देवसू बुग्याल, थांगा बुग्याल, रुइनसारा झील के दीदार करते हुए यमुनोत्री धाम होते हुए जानकी चट्टी पहुंचते हैं
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