गांव की पगडंडियों से ओलम्पिक ट्रैक तक, उत्‍तराखंड की बेटी अंकिता ध्यानी का स्वर्णिम सफर; अब जर्मनी में जीते पदक

कोटद्वार। उत्तराखंड की बेटी ने जर्मनी में चल रहे विश्वविद्यालय खेलों में भारत के लिए पदक जीता है। स्टीपलचेज एथलीट अंकिता ध्यानी (कोटद्वार) ने 9:31.99 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ 3000 मीटर स्पर्धा में रजत पदक जीता। 23 वर्षीय अंकिता ने अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 9:39.00 सेकेंड से लगभग सात सेकेंड कम समय में रजत पदक जीता।

लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जयहरीखाल विकासखंड का एक छोटा से गांव मेरुड़ा भेल ही कुछ वर्ष पूर्व तक पहचान का मोहताज रहा हो, लेकिन आज गांव की एक बेटी की बदौलत गांव का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा है।

मेरुड़ा निवासी अंकिता ध्यानी की, जिसने कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद अपने हौसलों को टूटने नहीं दिया और आज एथलेक्टिस की दुनिया में विश्व पटल पर जाना-पहचाना नाम बन गई हैं। आज विश्व में तीन हजार मीटर स्टैपल चेज में अंकिता विश्वस्तर पर 1185 अंकों के साथ 53 वें स्थान पर हैं।

 

किसान महिमामंद ध्यानी और लक्ष्मी देवी की होनहार बेटी अंकिता की राह आसान नहीं थी। गांव की पथरीली पगडंडियों पर दौड़ते हुए जो कदम कभी स्कूल के मैदान तक सीमित थे, वही अब ओलंपिक ट्रैक तक पहुंच चुके हैं। शुरुआत गांव के प्राथमिक विद्यालय के एक छोटे-से मैदान से हुई, जहां शिक्षिका रिद्धि भट्ट के निर्देशन में अंकिता ने अपने पहले दौड़ कदम रखे।

विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी अंकिता आज भी अपने गांव से जुड़ी हुई हैं। हालांकि, अभ्यास के चलते वह गांव में कम ही रहती हैं, फिर भी उनका अपने गांव से गहरा लगाव है। इन दिनों अंकिता गांव में अपना नया मकान बनवा रही हैं। अंकिता का कहना है कि जिस घर-गांव में उसने चलना सीखा, उसे छोड़ने की वह कभी सोच भी नहीं सकती

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