द्वाराहाट (अल्मोड़ा)। ब्लॉक द्वाराहाट के दूनागिरी क्षेत्रांतर्गत सुदूरवर्ती ग्राम पंचायत रतखाल की बेटी प्रियंका राणा बीते मंगलवार को भारतीय सेना में मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के तहत लेफ्टिनेंट बनी हैं। प्रियंका ने पूरे गांव, ब्लॉक और जिले का नाम रोशन किया है। उनकी उपलब्धि पर परिवार और पूरे गांव में खुशी की लहर है।
प्रियंका के पिता केशव सिंह राणा ने बताया कि उनकी बेटी का भारतीय सेना में ऑफीसर के रूप में शामिल होना उनके परिवार के लिए बेहद गर्व की बात है। उनका परिवार पिछली दो पीढ़ियों से सेना में रहकर देश सेवा कर रहा है और अब तीसरी पीढ़ी की प्रियंका ने पारिवारिक परंपरा को कायम रखा। प्रियंका के दादा स्व. दान सिंह राणा ने सेना में सेवा दी। वर्तमान में प्रियंका के चाचा पूरन सिंह सेना में तैनात हैं। प्रियंका की सफलता से गदगद मां नीलम राणा कहती हैं कि उनकी बेटी ने भारतीय सेना में शामिल होकर महिला सशक्तिकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है।
प्रियंका ग्राम रतखाल से पहली लड़की है जिसका भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन हुआ है। उन्होंने विश्वास जताया है कि अन्य बेटियों को प्रोत्साहन मिलेगा। लेफ्टिनेंट प्रियंका राणा ने अपने दादा-दादी, माता-पिता, परिजनों और अपने गुरुजनों का सहयोग के लिए आभार जताया है। कहा कि मेहनत, लगन, माता-पिता, परिवार के सदस्यों, गुरुजनों के सहयोग, मार्गदर्शन और आशीर्वाद से ही उन्हें सफलता मिली है। ग्राम प्रशासक रीता देवी सहित अन्य ग्रामीणों ने प्रियंका की सफलता पर हर्ष व्यक्त कर उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
द्वाराहाट। मध्यम वर्ग के परिवार में जन्मीं प्रियंका के पिता केशव सिंह राणा दिल्ली की एक संस्था में कार्यरत हैं। माता नीलम राणा गृहिणी हैं। प्रियंका ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई यूनिवर्सल कान्वेंट स्कूल द्वाराहाट से 2020 में पूरी की और सितंबर 2020 में उनका चयन भारतीय मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए हुआ। करीब चार साल तक इंडियन नेवल हाॅस्पिटल काॅलेज अश्वनी, मुंबई, महाराष्ट्र से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीते मंगलवार को लेफ्टिनेंट के पद पर चयनित होकर भारतीय सेना में शामिल हुईं। अब वह चंडीगढ़ कमांड हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं देंगी।
द्वाराहाट। लेफ्टिनेंट बनीं प्रियंका के दादा स्व. दान सिंह राणा ने भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने सन 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध भी लड़ा। सन 1971 में उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा गया
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