उत्तरकाशी के धराली में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के जवानों के समक्ष आई चुनौतियों को देखते हुए जल्द ही जवान नई वर्दी में नजर आएंगे।
जवानों के लिए ऐसी वर्दी तैयार कराई जाएगी जो न केवल आपदागस्त विषम परिस्थितियों के दृष्टिगत व्यवाहारिक हो, बल्कि जवानों के अनुशासन, दक्षता व पहचान को भी परिलिक्षित करे।
वर्दी के निर्धारण के लिए पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी ने कमांडेंट अर्पण यदुवंशी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है, जिसमें पांच अधिकारियों व कर्मचारियों को शामिल किया गया है।
उत्तराखंड में एसडीआरएफ का गठन वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने नौ अक्टूबर 2013 को किया था। बढ़ती आपदा की घटनाओं के कारण एसडीआरएफ के जवानों के समक्ष चुनौतियां भी बढ़ी हैं। एसडीआरएफ वाहिनी में विभिन्न मदों से आधुनिक उपकरण तो शामिल किए गए, लेकिन वर्दी में बदलाव नहीं किया गया। जवान ट्रैक सूट में ही बचाव कार्य करते हैं।
धराली आपदा में आइजी अरुण मोहन जोशी ने खुद ही महसूस किया कि जवानों ने 12 किलोमीटर पैदल दूरी सफर कर बचाव कार्य किया, जहां बेसिक उपकरण ले जाना भी असंभव था। वहां जवानों को बेसिक उपकरण साथ ले जाने में भी परेशानी उठानी पड़ी।
क्योंकि खतरनाक रास्तों में पैदल चलना ही मुश्किल था। खतरनाक रास्तों पर पैदल चल रहे जवानों के हाथ कम से कम खाली होने चाहिए कि ताकि खतरा होने पर वह हाथों से बचाव कर सकें।
आपदा में चले बचाव कार्य के दौरान यह महसूस किया गया कि वर्दी ऐसी होनी चाहिए ताकि बड़ी आपदा के दौरान जवान बेसिक उपकरण, जिसमें सेटेलाइट फोन, छोटे कटर, मेडिकल किट जैसी आवश्यक चीजें वह जेब में रखकर ले जा सकें।
ऐसे में एसडीआरएफ के जवानों के लिए विषम परिस्थितियों में बचाव एवं राहत कार्यों को दक्षता से करने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर आपरेशन वर्दी का निर्धारण करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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