लद्दाख में सियाचिन बेस कैंप पर मंगलवार को एक बड़ा हिमस्खलन हुआ, जिसमें भारतीय सेना के तीन जवानों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया. अधिकारियों ने बताया कि महार रेजिमेंट के जवान करीब पांच घंटे तक बर्फ में फंसे रहे.
भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि सिपाही मोहित कुमार, अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी और अग्निवीर डाभी राकेश देवभाई ने 9 सितंबर को सियाचिन में ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया. सेना ने कहा कि बम अपने बहादुर जवानों को सलाम करते हैं.
सेना के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि हिमस्खलन में फंसे सेना के एक कैप्टन को मामूली चोटों के साथ जीवित बाहर निकाल लिया गया. अधिकारी ने कहा कि फिलहाल खोज और बचाव अभियान जारी है.
सियाचिन ग्लेशियर, जिसे अक्सर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उत्तरी सिरे पर लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे गिरने और हिमस्खलन की आशंका वाले खतरनाक इलाके के साथ, ग्लेशियर साल भर वहां तैनात सैनिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है.
पिछले महीने ही, लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट में कार्यरत हिमाचल प्रदेश के एक सैनिक की सियाचिन में तैनाती के दौरान मौत हो गई थी. 2021 में, सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन होने से दो सैनिक शहीद हो गए थे. 2019 में, 18,000 फीट की ऊंचाई पर एक गश्ती दल पर हुए भीषण हिमस्खलन में चार सैनिक और दो नागरिक पोर्टर मारे गए थे. सबसे घातक घटना 2022 में अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हुई, जहां सात सैनिक बर्फ में दब गए थे. उनके शव तीन दिन बाद बरामद किए गए.
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