धराली हादसे की असल वजह का खुलासा, ग्लेशियर डिपोजिट टूटने से मची तबाही

उत्तराखंड के उत्तरकाशी धराली में आई भीषण आपदा के कारणों की एक्सक्लूसिव तस्वीर सामने आई हैं. भूटान में PHP-1 के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने उस ग्लेशियर डिपोजिट स्लाइड की तस्वीरें साझा की हैं.

 

जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने बताया धराली गांव से लगभग 7 किमी ऊपर की ओर, समुद्र तल से लगभग 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, ग्लेशियर डिपाजिट डेबरी का एक बड़ा हिस्सा टूटने से मलबा तेजी से नीचे घाटी की ओर आया. सैटेलाइट इमेज के अनुसार ग्लेशियर मलबे की मोटाई 300 मीटर और क्षेत्रीय विस्तार तकरीबन 1.12 वर्ग किलोमीटर का बताया गया है. जिसके कारण निचले इलाकों में तबाही मची है.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी धराली में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा के पीछे के असल कारणों का खुलासा वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट इमरान खान द्वारा साझा की गई तस्वीरों से हुआ है. बता दें कि वरिष्ठ भारतीय जियोलॉजिस्ट इमरान खान भूटान में चल रहे PHPA-1 में सेवारत हैं. सोशल मीडिया पर उनके द्वारा साझा की गई जानकारी में उत्तरकाशी धारली में हुई घटना की विस्तृत जानकारी दी गई है. जिसमें कई तकनीकी पहलू भी शामिल हैं.

धराली गांव से लगभग 7 किमी ऊपर की ओर, समुद्र तल से लगभग 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, हिमनदों से बने मोटे तलहटी निक्षेपों का एक महत्वपूर्ण समूह पाया गया है. इन निक्षेप अनुमानित ऊर्ध्वाधर मोटाई 300 मीटर है. इसका क्षेत्रीय विस्तार 1.12 वर्ग किमी है. इसकी संरचना अनुमानित हिमोढ़ और हिमनद-नदी पदार्थ की है.अवस्था की बात करें तो एक लटकते हिमनद गर्त के भीतर स्थित असंगठित पिंड है.

5 अगस्त को हाल ही में हुई उच्च-तीव्रता वाली वर्षा की घटना (बादल फटने) के दौरान अत्यधिक सतही अपवाह और अंतःस्त्राव ने संभवतः इस हिमनद निक्षेप की प्रतिगामी विफलता या अचानक ढलान वियोजन को प्रेरित किया. मध्यवर्ती नाला चैनल की तीव्र स्थलाकृतिक ढाल – जो लगभग 7 किमी के खड़ी, सीमित भूभाग को कवर करती है, ने मलबे के वेग को बढ़ा दिया. अनुमान है कि परिणामी उच्च-गति वाला मलबा प्रवाह न्यूनतम क्षीणन के साथ एक मिनट से भी कम समय में धराली गांव तक पहुंच गया.

-आकृति विज्ञान संबंधी संदर्भ: इस क्षेत्र से निकलने वाली धारा/नाला उच्च अनुदैर्ध्य ढाल, सीमित पार्श्व परिरोध और पहले से मौजूद चीरा पथ प्रदर्शित करती है, जिससे मलबे का प्रवाह तेज़ी से गतिशील होता है. यह घटना ऊपरी हिमालयी मुख्य जलस्रोतों, विशेष रूप से घनी आबादी वाले या तीर्थयात्रियों की अधिकता वाले गलियारों के ऊपर, भू-आकृति और हिमनद द्रव्यमान अस्थिरता के पुनर्मूल्यांकन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करती है.

क्या होता है ग्लेशियर डिपोजिट: ग्लेशियर डिपोजिट ग्लेशियरों द्वारा जमा सामग्री होती है. इसमें बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े होते हैं. ये टुकड़े गुरुत्वाकर्षण के कारण धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकते रहते हैं. ये रास्ते में चट्टानों, बजरी, रेत और मिट्टी जैसा मलबा भी जमा करते हैं. उन्हें लेकर आगे बढ़ते हैं. जब ग्लेशियर पिघलता है, तो यह अपने साथ लाए गए मलबे को पीछे छोड़ देता है, जिसे ग्लेशियल डिपोजिट कहते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!