उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक भगवान तुंगनाथ के मंदिर में जल्द ही जीर्णोद्धार का काम शुरू होने वाला है. बेहद पौराणिक इस मंदिर के रखरखाव को लेकर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने सीबीआरआई की तमाम अत्याधुनिक मशीनों से पहले पूरे मंदिर का अध्ययन करवाया है. इसके बाद ही इस पौराणिक मंदिर में काम शुरू हो पाएगा.
समुद्र तल से 12074 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार रखरखाव के लिए बदरीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) ने प्रयास तेज कर दिये हैं. शयद यही कारण है की आपदा और तेज बारिश के बावजूद भी मंदिर से जुड़े अन्य काम तेज़ी से चल रहे हैं. पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश से कई मंदिरो और भवनों को नुकसान पंहुचा है. ऐसे में विश्वप्रसिद तुंगनाथ मंदिर में आगे क्या और कैसे काम होगा इसकी इजाजत पहले सीबीआरआई से लेनी आवश्यक होगी.
बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने तुंगनाथ मंदिर के भू तकनीकी सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है. सर्वे रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद डीपीआर बनायी जायेगी. जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर के अनुरूप रखरखाव संरक्षण का कार्य शुरू होगा. बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के निर्माण और विकासात्मक गतिविधियों के लिए बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अनुरोध पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रही है.इससे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और सीबीआरआई भी तुंगनाथ मंदिर क्षेत्र का दौरा कर चुकी है. अब एक बार फिर से इस पर तेजी से काम किया जा रहा है.
बता दें सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा धीरे-धीरे नया रिकॉड बना रहा है. जानकारी के अनुसार तुंगनाथ धाम में मात्र 60 दिनों में 90 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों अब तक दर्शन कर लिए है. इस वर्ष तुंगनाथ धाम में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने के साथ मंदिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है.
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