प्रदेश में अब किसी ने विवाह के दौरान अपनी पहचान गलत बताई तो वह विवाह भी निरस्त करने योग्य होगा। सदन में प्रस्तुत समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक में यह नया तथ्य जोड़ा गया है। साथ ही लिव इन संबंधों को समाप्त करने पर भी प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
बल, धोखे या जबरदस्ती विवाह और बल, धोखे और जबरदस्ती लिव इन पर रहने पर भी अब अब सात साल की सजा व जुर्माना होगा। विधेयक में नाबालिग के साथ लिव इन पर रहने पर छह माह की कैद व 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
साथ ही नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना अब भू-राजस्व के बकाये वसूली की तरह किया जाएगा। मंगलवार को सदन में समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद अब नवविवाहित एक वर्ष तक अपना विवाह पंजीकृत करा सकते हैं।
समान नागरिक संहिता कानून में जहां भी सीपीसी का जिक्र होगा उसके स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का जिक्र किया जाएगा। जहां भी दंड का उल्लेख होगा उसके स्थान पर जुर्माना लिखा जाएगा। कारण यह कि दंड केवल न्यायालय ही दे सकता है, सब रजिस्ट्रार केवल जुर्माना लगा सकते हैं। इसमें पद व नियुक्ति से संबंधित प्रविधान को भी बदला गया है।
इसके तहत अब अपर सचिव स्तर का अधिकारी रजिस्ट्रार जनरल बन सकेगा। पहले केवल सचिव स्तर के अधिकारी को ही रजिस्ट्रार जनरल बनाने की व्यवस्था थी। झूठे व जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने पर अब भारतीय न्याय संहिता के अनुसार दंड दिया जाएगा इसमें तलाक के आधार पर भी संशोधन किया गया है।
अब पति ने यदि विवाह के पश्चात पति ने बलात्कार, पशु विकृति अथवा मृतक यौनाचार किया हो तो ये सभी तलाक लेने के आधार माने जा सकेंगे। नाबालिग से विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत दंडनीय होगा। पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय माना जाएगा।
संशोधित विधेयक में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इनमें विवाह, लिव इन और उत्तराधिकार का पंजीकरण रद करने की शक्ति रजिस्ट्रार जनरल में समाहित की गई है। वहीं, नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की वसूली को भू राजस्व की बकाया वसूली की भांति करने की व्यवस्था की गई है।
Leave a Reply