25000 उपनल कर्मचारी होंगे नियमित, सुप्रीम कोर्ट ने दिया सरकार को झटका
उत्तराखंड : प्रदेश में लंबे समय से उपनल कर्मचारियों की मांग चल रही थी जिसके लिए लगातार धरने भी हुए और तामाम रैलियां भी हुई। लंबे संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को दिवाली का तोफा देते हुए सरकार को 2500 कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कहा है।
इसके बाद से सरकार को एक सुप्रीम झटका लगा है। इस निर्देश के बाद से उपनल कर्मचारियों की नियमितीकरण की राह साफ हो गई है। उपनल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री विनय प्रसाद ने इस जीत के लिए सभी कार्मिकों को बधाई दी।
आपको बता दें वर्ष 2018 में नैनीताल हाई कोर्ट ने उपनल कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने का आदेश दिया था। साथ ही नियमावली बनाने तक कर्मचारियों को समान कार्य समान मानदेय देने को कहा था। लेकिन सरकार को हाई कोर्ट का आदेश रास नहीं आया और राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी
उसी दौरान राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) से सरकार ने 138 कर्मचारी निकाल दिए थे। इस मामले में भी हाई कोर्ट के रुख के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया था।
तब उपनल कर्मचारी महासंघ ने सरकार से मांग की थी कि कुंदन सिंह बनाम राज्य सरकार में दायर एसएलपी को वापस ले लिया जाए। हालांकि, इस मामले में सरकार की पैरवी जारी रही। अब सुप्रीम कोर्ट ने 25 हजार कर्मचारियों के हितों से जुड़े मामले में सरकार को जोर का झटका दिया है।
ऐसे में उपनल कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने की उम्मीद बढ़ गई है। विभिन्न विभागों में उपनल के माध्यम से तैनात कर्मचारियों के लिए यह आदेश उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। इस निर्णय पर विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने भी खुशी व्यक्त करते हुए इसे न्याय की जीत बताया
राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में विभागीय संविदा समाप्त कर दी थी। इसके बाद उपनल ही एकमात्र ऐसी एजेंसी थी, जिसने मानकों के मुताबिक कार्मिकों की भर्ती की। लिहाजा, उपनल के माध्यम से तैनात कार्मिकों ने यह मांग उठानी शुरू कर दी थी कि नियमितीकरण पर पहला हक उनका है।