जिला पंचायत पौड़ी के दो इंजीनियर नौकरी से बर्खास्त, इस वजह से गिरी गाज

जिला पंचायत पौड़ी में तैनात तदर्थ कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन रावत और आलोक रावत को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है. पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने दोनों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए हैं.

 

जिला पंचायत पौड़ी के दो जेई पर गिरी गाज: जानकारी के मुताबिक, साल 2018 में सुदर्शन रावत और आलोक रावत उपनल के माध्यम से जिला पंचायत पौड़ी में कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त किए गए थे. इसके बाद 5 अप्रैल 2021 को शासनादेश के तहत उन्हें तदर्थ आधार पर कनिष्ठ अभियंता नियुक्त किया गया.

तदर्थ नियुक्ति के बाद दोनों अभियंताओं पर निर्माण कार्य, आपूर्ति और सेवाओं की निविदाओं में नियमों के उल्लंघन एवं वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे. मामले में खांड्यूसैंण निवासी करन रावत और जिला पंचायत सदस्य गौरव रावत ने गढ़वाल कमिश्नर से लेकर शासन तक शिकायत दर्ज कराई थी

वहीं, मामले की जांच के दौरान सुदर्शन रावत को अक्टूबर 2024 में निलंबित कर दिया गया था. अब जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद दोनों अभियंताओं को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. ऐसे में अनियमितता के चलते दोनों अभियंताओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

दरअसल, पंचायती राज विभाग में तैनात तदर्थ कनिष्ठ अभियंता सुदर्शन रावत और आलोक रावत पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. शासन ने नवंबर 2024 में जांच के आदेश जारी करते हुए निदेशक पंचायती राज को जांच अधिकारी नामित किया था.

 

जांच अधिकारी ने 11 जून 2025 को जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंपी. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रभारी अभियंता के रूप में सुदर्शन रावत ने नियमों को दरकिनार कर भवनों व होटलों के मानचित्रों की स्वीकृति खुद ही कर दी. जबकि, नियमानुसार यह कार्य अपर मुख्य अधिकारी का होता है.

 

इसके अलावा एक फर्म को भुगतान की गई 1,47,94,346 (एक करोड़ सैंतालिस लाख तीन सौ छियालीस रुपए) की धनराशि में 25 फीसदी हिस्सेदारी सुदर्शन रावत और आलोक रावत की पत्नियों के नाम पर तय की गई. इस फर्म को किए गए भुगतान की जानकारी जिला पंचायत को नहीं दी गई.

विजिलेंस जांच में भी सितंबर 2024 में सुदर्शन रावत की पत्नी के खाते में 84,27,000 रुपए जमा होने की पुष्टि हुई. गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने दोनों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए. साथ ही निलंबन अवधि के दौरान देय भत्तों का भुगतान भी रोकने के निर्देश दिए हैं.

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