कोटद्वारः जटिल से जटिल केसों की गुत्थी सुलझाने का जिस पुलिस पर जिम्मा होता है, एक युवक की मौत में उसकी अपनी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। जांच पड़ताल के बजाय पंचों की राय पर युवक को मुस्लिम समझ उसके शव को दफना दिया। जब स्वजन पहुंचे तो उसके हिंदू होने की बात सामने आई। शव के लिए स्वजन को डीएम दफ्तर तक दौड़ लगानी पड़ी। इसके बाद कब्र से शव निकालकर स्वजन के सुपुर्द किया गया। पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर. कई प्रश्न उठ रहे हैं।
15 जून की रात रोडवेज बस अड्डे पर कोटद्वार कोतवाली पुलिस को एक शव मिला था। मृतक की जेब से कोई दस्तावेज नहीं मिला। पुलिस की मानें तो मृतक की पहचान के लिए कोटद्वार क्षेत्र के साथ ही बिजनौर जिले में फोटो, भिजवाई और पहचान न होने पर 19 जून को पोस्टमार्टम कराने के बाद शव दफना दिया। इधर, 24 जून को उत्तरे
प्रक्रिया के तहत काम करती है पुलिस
देहरादून शहर कोतवाल प्रदीप पंत के अनुसार, अज्ञात शवों की शिनाख्त में दो चीजें खासकर देखी जाती हैं, पहला शरीर पर किसी प्रकार का निशान या कोई चीज गुदी हुई हो। इसके आधार पर धर्म का पता लगाने का प्रयास किया जाता है।
इसके अलावा शव को 72 घंटे तक शवगृह में रखा जाता साथ ही 15 दिन पुरानी है। गुमशुदगी पता की जाती है।
प्रदेश के मुजफ्फरनगर के हर्या पटी, निकट वाटर टैंक, शोरों निवासी योगेंद्र ने कोतवाली में पहुंचकर मृतक की शिनाख्त अपने भाई धर्मेंद्र (38) पुत्र रामधन के रूप की। स्वजन के शव मांगने पर पुलिस ने जिलाधिकारी का आदेश लाने को कहा। स्वजन पौड़ी से अपर
पंचायतनामा की कार्रवाई के दौरान पंचों की राय और शारीरिक परीक्षण से युवक मुस्लिम समाज का प्रतीत हुआ, जिस कारण उसे दफना दिया गया था।
रमेश तनवार, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक, कोटद्वार
छह जून से था लापता
धर्मेंद्र छह जून को घर से निकला था। परिवार को मालूम चला कि वह सात जून को कोटद्वार में एक परिचित के पास आया था। स्वजन उसे ढूंढने कोटद्वार आए तो पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है।
जिलाधिकारी का आदेश लेकर कोटद्वार पहुंचे, तब गुरुवार शाम शव दिया गया। मृतक के भाई योगेंद्र ने बताया कि पंचायतनामा की प्रक्रिया में पुलिस ने पांचों पंच मुस्लिम समाज के ही रखें, जिन्होंने शिनाख्त मुस्लिम युवक के रूप में की।
आठ जून को हुआ था चालान
आठ जून को पुलिस ने धर्मेंद्र का चालान कर बाइक सीज की थी। आरोप था कि वह शराब के नशे में बाइक चला रहा था।
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