क्या जानते है उत्तराखंड का सबसे पुराना मंदिर कौन सा है ?
क्या आप जानते है उत्तराखंड का सबसे पुराना मंदिर कोन सा है ?
उत्तराखंड को रिशाशों की भूमि यानी ऋषियों की भूमि, देवभूमि, देवनागरी, जैसे कई नामों से जाना जाता है क्योंकि कहा जाता है कि देवताओं और ऋषियों का उत्तराखंड से खास लगाव था।
पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य ने यहीं पर पुत्र की प्राप्ति के लिए तपस्या की थी।
श्री राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहीं तपस्या की थी। पांडवों ने यहीं कुछ समय वनवास का बिताया एवं स्वर्ग की तरफ भी यहीं से गए थे। ऐसी बहुत सी पौराणिक गाथाएं उत्तराखंड अपने अंदर समेटे हुए है ।
उत्तराखंड अपनी प्रकृति सुंदरता के साथ साथ अपनी पौराणिक गाथाओं और प्राचीन मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां ऐसे कई मंदिर है जिनकी अपनी पौराणिक मान्यता है तथा वे प्राचीनतम भी है।
पर क्या आप जानते है उत्तराखंड का सबसे पुराना मंदिर कोन सा है ?
वैसे तो उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ और कई मंदिर है जो प्राचीनता के लिए जानते है और अपनी पौराणिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
पर उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर भी है जो इनसे भी पुराना है।यह मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के अलमोड़ा जिले में है जिसका नाम है जागेश्वर धाम । यह मंदिर एक एक ऐसा तीर्थस्थल है, जो न केवल अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है, बल्कि पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जागेश्वर मंदिर का निर्माण महाभारत काल में किया गया था, जब पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर आकर भगवान शिव की आराधना की थी। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।
तथा मंदिर की स्थापना 7वीं शताब्दी में की गई थी, जब यह कुमाऊं के कत्यूरी राजाओं के अधीन था।
मंदिर की वास्तुकला और स्थापत्य भी इसकी प्राचीनता को दर्शाते हैं। इसका निर्माण पत्थरों से किया गया है और इसमें कई प्राचीन मूर्तियाँ और शिलालेख हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का एक भव्य शिवलिंग स्थापित है, जो नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।
जागेश्वर मंदिर का महत्व न केवल पौराणिक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने और उनकी आराधना करने आते हैं। मंदिर के आसपास का वातावरण भी बहुत ही शांत और पवित्र है, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
इस प्रकार, जागेश्वर मंदिर एक ऐसा तीर्थस्थल है, जो न केवल अपनी प्राचीनता और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी है, जहाँ श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने और उनकी आराधना करने आते हैं।