उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के फिलहाल जल्द होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. दरअसल, सरकार के स्तर पर इसको लेकर तैयारी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में अब प्रशासकों को कार्यकाल के रूप में कुछ और मौका दिए जाने की उम्मीद है.
उत्तराखंड में मई महीने के दौरान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने की संभावना लगाई जा रही थी, लेकिन सरकार की तैयारी को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि इस महीने चुनाव की तैयारी पूरी हो पाएगी. इसके पीछे की वजह राज्य सरकार के स्तर पर चुनाव को लेकर उन जरूरी औपचारिकताओं को पूरा न कर पाना है जिसके बिना चुनाव करना मुमकिन नहीं है.
उत्तराखंड में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का कार्यकाल 2024 के अंतिम महीनो में समाप्त हो गया था. सरकार की तैयारी अधूरी थी इसलिए चुनाव समय पर नहीं हो पाए. ऐसे में व्यवस्थाओं को चलाने के लिए सरकार ने पहले जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया. फिर पंचायत संगठनो के विरोध के बाद ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष को भी प्रशासक नियुक्त कर दिया. इनका कार्यकाल अधिकतम 6 महीने के लिए रखा गया.
ग्राम पंचायत का कार्यकाल 27 नवंबर 2024 को समाप्त हुआ. उधर क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल 29 नवंबर 2024 को ही समाप्त हो गया था, जबकि जिला पंचायत का कार्यकाल 1 दिसंबर 2024 को समाप्त हुआ. खास बात यह है कि पंचायतों में 6 महीने के लिए प्रशासक की नियुक्ति की समय अवधि भी इसी महीने खत्म हो रही है, लेकिन अभी सरकार चुनाव कराने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही.
प्रदेश में 7000 से ज्यादा ग्राम पंचायत में चुनाव करवाने की चुनौती सरकार के सामने है. प्रशासक के रूप में इसी महीने प्रतिनिधियों का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. लिहाजा सरकार के सामने इसी महीने पंचायत के चुनाव कराने का बड़ा सवाल है. हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखकर लगता नहीं है कि सरकार इस महीने चुनाव कराने की स्थिति में है.
सरकार मई महीने में चुनाव नहीं करवा पाई तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाना भी करीब करीब तय माना जा रहा है. राज्य सरकार को चुनाव कराने के लिए पहले ओबीसी आरक्षण लागू करना होगा. जिसके लिए करीब 20 दिन लग सकते हैं. इसके बाद राज्य चुनाव आयोग को भी चुनाव कराने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होगी. इस तरह देखा जाए तो फिलहाल इस महीने चुनाव की तारीख आना मुश्किल दिखाई दे रहा है. यह स्थिति बयां करती है कि निवर्तमान ग्राम प्रधान और प्रतिनिधि पंचायत के प्रशासक के रूप में आगे भी कुछ समय के लिए बने रह सकते हैं. हालांकि, इसके लिए भी शासन को अलग से आदेश जारी करने होंगे.
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