बिग ब्रेकिंग : आशीष नेगी को मिली जमानत,आशुतोष को करना होगा इंतजार
उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता आशुतोष नेगी और आशीष नेगी को देहरादून में दो रेस्तरां में घुसकर वसूली करने और अभद्रता के मामले में बड़ी राहत मिली है। रायपुर थाना क्षेत्र के नालापानी चौक स्थित रजवाड़ा रेस्तरां के मामले में देहरादून के सत्र नयायाधीश प्रेम सिंह खीमाल ने दोनों की जमानत मंजूर कर दी है। हालांकि, राजपुर रोड के पिरामिड कैफे के मामले में सिर्फ आशीष नेगी को पूर्व में जामनत मिल पाई है और आशुतोष नेगी की जमानत पर सुनवाई होनी बाकी है। लिहाजा, अभी आशीष नेगी ही जेल से बाहर आ पाएंगे।
सत्र न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल की कोर्ट में आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की जमानत पर सुनवाई की गई। मंगलवार को जारी किए गए सत्र न्यायाधीश के आदेश के अनुसार बचाव पक्ष के अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल ने दलील पेश करते हुए कहा कि अभियुक्तगण निर्दोष हैं। पुलिस ने राजनीतिक दबाव में झूठा मुकदमा दर्ज किया है। लिहाजा, उनकी जमानत मंजूर करना न्यायोचित होगा। वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध किया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद कपिल ने कहा कि अभियुक्तगण (आशीष नेगी और आशुतोष नेगी ) 06-07 व्यक्तियों के साथ 26 फरवरी को राजवाड़ा रेस्तरां में आए है मालिक दीपक गुप्ता, मैनेजर आशीष शर्मा और स्टाफ के साथ अभद्रता की। उन्होंने काम छोड़कर गए सैफ शौकीन सिंह की सैलरी के नाम पर 12500 रुपये जबरन वसूल किए और धमकी दी। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश ने अभ्युक्तगणों की जमानत मंजूर कर दी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अलोक घिल्डियाल ने इसे न्याय की जीत बताया है।
वहीं, आशीष नेगी को राजपुर रोड स्थित पिरामिड कैफे के मामले में 04 अप्रैल को जमानत मिल गई थी। हालांकि, इस प्रकरण में अभी आशुतोष नेगी की जमानत पर सुनवाई किया जाना बाकी है। इस प्रकरण में दर्ज एफआइआर के मुताबिक आशुतोष और आशीष पर आरोप हैं कि वह 20 मार्च को 40-50 लोगों के साथ नारेबाजी करते हुए घुसे और अभद्रता/गाली गलौज की। उस दौरान 06 कर्मचारियों की सैलरी के नाम पर 01 लाख 07 हजार रुपये वसूल किए गए। पिरामिड कैफे में विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।
उस दौरान दोनों रेस्तरां/कैफे की घटना को लेकर आशुतोष नेगी और आशीष नेगी ने आरोप लगाया था कि संबंधित प्रतिष्ठान संचालक पहाड़ी मूल के कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। पिरामिड कैफे संचालक ने पहाड़ी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और उनकी सैलरी भी नहीं दी। इसी तरह राजवाड़ा रेस्तरां से काम छोड़कर गए शौकीन सिंह का अवशेष वेतन जारी नहीं किया गया। घटना के बाद व्यापारिक संगठनों ने कारोबारियों के उत्पीड़न के विरोध में एसएसपी कार्यालय में प्रदर्शन किया, जबकि उक्रांद भी गिरफ्तारी को लेकर निरंतर विरोध प्रदर्शन कर रहा है।