पिथौरागढ़: जिले के बेरीनाग में एक बेटी ने समाज की रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए बेटा होने का फर्ज निभाया, जिसने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी. बेरीनाग तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर उडियारी गांव का 46 वर्षीय दरपान सिंह नैनीताल के खुटानी में एक होटल में काम करता था. दीपावली को लेकर वो रविवार को जीप से घर लौट रहा था, धौलछीना (अल्मोड़ा) के पास उसे अचानक हार्ट अटैक आ गया. स्थानीय लोगों ने उसे अल्मोड़ा बसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
घटना के बाद परिजन दरपान का शव लेकर उडियारी गांव पहुंचे, जहां दीपावली की खुशियां मातम में बदल गई. दरपान का बेटा मनोज सिंह महरा सूरत गुजरात में प्राइवेट कंपनी मे काम करता है, जिसका दो दिन में घर पहुंचना मुश्किल था. तब परिजनों के सामने दरपान की चिता को मुखाग्नि देने को लेकर असमंजस पैदा हो गया. तभी दरपान की कक्षा 12 में पढ़ने वाली 17 वर्षीय बेटी गीता माहरा ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और चिता को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया. सोमवार को गीता ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और थल रामगंगा नदी तट पर चिता को भावुक होते हुए मुखाग्नि दी. अंतिम यात्रा में शामिल मौजूद लोग यह दृश्य देखकर भावुक हो गये.













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