नई दिल्ली, उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा legal setback मिला है। उपनल (UPNL) कर्मियों से जुड़े मामलों में दायर राज्य सरकार की सभी रीव्यू पिटीशन (Review Petitions) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह फैसला खासतौर पर चर्चित कुंदन सिंह बनाम राज्य उत्तराखंड मामले से सीधे जुड़ा माना जा रहा है।
Supreme Court का साफ संदेश: पुराने आदेश में कोई त्रुटि नहीं
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि 15 अक्टूबर 2024 को पारित आदेश में कोई भी “error apparent” नहीं मिला, इसलिए पुनर्विचार का आधार नहीं बनता।
2019–2021 की SLP और Civil Appeals पर भी खत्म हुआ विवाद
राज्य सरकार ने 2019 से 2021 के बीच दायर कई
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SLP (Special Leave Petitions)
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Civil Appeals
के संदर्भ में पुनर्विचार मांगा था। सभी मामलों को संयुक्त रूप से सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पूर्व आदेश पूरी तरह न्यायसंगत और वैध है, इसलिए इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है।
Delay condone हुआ, पर Review नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने पहले राज्य की देरी को क्षमा किया,
लेकिन पूरे रिकॉर्ड और तथ्यों की समीक्षा के बाद सभी याचिकाएँ खारिज कर दीं।
इसके साथ ही सभी लंबित इंटरिम आवेदनों का भी निपटारा कर दिया गया।
UPNL कर्मियों के लिए बड़ा प्रभाव: हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब अंतिम
कुंदन सिंह केस से जुड़े सभी आदेश अब अंतिम रूप से लागू रहेंगे।
राज्य सरकार की बार-बार की गई कानूनी चुनौती को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय यथावत प्रभावी रहेंगे।














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