देहरादून: देश के कई राज्यों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का असर अब केवल सांस और फेफड़ों की बीमारियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण गर्भस्थ शिशु तक पहुंचकर समय से पहले प्रसव (Premature Delivery) का कारण बन रहे हैं।












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