सरकार द्वारा डेयरी उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में हाल ही में की गई कटौती को उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. तमिलनाडु की अग्रणी डेयरी उत्पाद कंपनी मिल्की मिस्ट डेयरी फ़ूड लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के. रत्नम ने कहा कि इस फैसले से उपभोक्ताओं और किसानों दोनों को दूरगामी लाभ होंगे और पूरा उद्योग नई ऊर्जा से आगे बढ़ेगा.
पनीर, मक्खन, घी और गाढ़ा दूध जैसे पौष्टिक और मूल्यवर्धित डेयरी उत्पाद अब अधिक किफायती और सुलभ होंगे. उनके अनुसार, यह केवल एक कर सुधार नहीं बल्कि समावेशी विकास का उत्प्रेरक है. इससे मांग में तेजी आएगी, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और संगठित डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी.
जीएसटी दरों का सीधा असर उपभोक्ताओं के व्यवहार पर पड़ेगा. अब अधिक लोग असंगठित आपूर्ति चैन से हटकर सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले पैकेज्ड उत्पादों की ओर रुख करेंगे. यह बदलाव न केवल जन स्वास्थ्य को लाभ देगा बल्कि लाखों डेयरी किसानों के लिए स्थिर और मजबूत मांग भी पैदा करेगा, जिससे उनकी आय में नियमितता आएगी.
भारत के पोषण संबंधी लक्ष्यों के अनुरूप है, जिनका उद्देश्य प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को अधिक किफायती बनाना है. खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा, जहां पोषण संबंधी चुनौतियाँ अधिक हैं.
उद्योग के पास अब यह अवसर और जिम्मेदारी है कि इस राहत से मिले लाभ को किसान प्रशिक्षण, स्थायी सोर्सिंग, कोल्ड चेन अवसंरचना और उत्पाद नवाचार में पुनर्निवेशित किया जाए. इससे उपभोक्ताओं की बदलती ज़रूरतों को पूरा करना और किसानों को सशक्त बनाना आसान होगा.
3 सितंबर को घोषित संशोधित जीएसटी ढांचे के अनुसार, यूएचटी दूध और पैकेज्ड पनीर/छेना पर कर दर 5% से घटाकर शून्य कर दी गई है. वहीं, मक्खन, घी, डेयरी स्प्रेड, गाढ़ा दूध और दूध आधारित पेय पदार्थों पर जीएसटी को 12% से घटाकर केवल 5% किया गया है, जो 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा.
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