यहाँ निर्विरोध निर्वाचित ग्राम प्रधान की गई जिंदगी, दो हफ्ते पहले ली थी पद की शपथ

उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में एक दुखद घटना हुई है. यहां एक ग्राम प्रधान का शव मिला है. पुलिस को आशंका है कि ग्राम प्रधान ने आत्महत्या की होगी. इस घटना से इलाके में शोक की लहर है. ये ग्राम प्रधान इस बार के पंचायत चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुआ था. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

पिथौरागढ़ के ननकुड़ी ग्राम प्रधान का शव जंगल में मिला: सीमांत जिले पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील क्षेत्र के ननकुड़ी गांव में निर्विरोध चुने गए ग्राम प्रधान का शव स्कूल के पास पाया गया. इससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया. सूचना मिलने पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची. पुलिस ने शव को नीचे उतारा. पंचायतनामा करने के बाद शव पोस्टमार्टम लिए पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय भेजा गया.

अस्कोट पुलिस को ननकुड़ी प्राथमिक स्कूल के पास एक बांज के पेड़ में शव लटकने की सूचना मिली. पुलिस टीम ने शव की पहचान लगभग 40 वर्षीय संजय कुमार पुत्र फकीर राम के रूप में की. परिजनों की मौजूदगी में शव के पंचायतनामा की प्रक्रिया पूरी की गई. पूछताछ में पता चला कि संजय कुछ समय से मानसिक तनाव में थे. ऐसी आशंका है कि जिसके चलते उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया होगा. संजय के इस कदम से सभी हैरान हैं.

 

निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने गए थे संजय कुमार: पिछले माह ही संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उन्हें अपने गांव से निर्विरोध ग्राम प्रधान चुना गया था. उनके परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है. इस घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर है.

इधर गांव के ग्रामीण भी स्तब्ध हैं कि जिसे गांव के विकास के लिए ग्रामीणों ने निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनाव था, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा. अभी दो सप्ताह पूर्व ही ग्राम प्रधान की शपथ लेने के बाद संजय कुमार ने यह कदम क्यों उठाया होगा ये सवाल सबके मन में है. ग्रामीण निर्विरोध ग्राम प्रधान की मौत से सदमे में हैं.

 

पहले भी ग्राम प्रधान रह चुके थे संजय: संजय कुमार वर्ष 2002 से 2007 तक भी गांव में ग्राम प्रधान रहे. ग्रामीणों ने बताया कि संजय कुमार हमेशा गांव के विकास के लिए संघर्षरत रहते थे. वो बहुत मिलनसार और सहयोगी भावना वाले थे. गांव के जब वो प्रधान नहीं थे, तब भी लोगों के कार्यों में सहयोग करते थे. संजय कुमार ग्रामीणों के अधिकांश विकास खंड और तहसील सहित विभिन्न विभागों के कार्य खुद करवाकर लाते थे. सरकारी योजनाओं का लाभ अपने ग्रामीणों को दिलाते थे. संजय की सक्रियता को देखते हुए ग्रामीणों ने इस वर्ष पंचायत चुनाव में ये सोचकर गांव से निर्विरोध ग्राम प्रधान भी चुना था कि गांव का विकास अधिक होगा. लेकिन अचानक संजय के इस कदम से हर कोई हैरान हो गया है.

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