रामनगर। बरेली से रामनगर लाए जा रहे मांस के दो वाहन पकड़े जाने पर रामनगर में हंगामा हो गया। लोगों ने दोनों वाहनों के चालकाें को पीटा और वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की। घटना को लेकर क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण होने पर आसपास के थानों व चौकियों का पुलिस फोर्स बैलपड़ाव व रामनगर बुला लिया गया। दोनों पक्षों के बीच तनातनी बनी रही। लोगों ने बैलपड़ाव पुलिस चौकी पर बिना जांच के वाहनों को प्रवेश देने का आरोप लगाया।
गुरुवार को लोगों ने मांस रामनगर लाए जाने की सूचना पर कालाढूंगी थाना अंतर्गत बैलपड़ाव व रामनगर के अंतर्गत छोई क्षेत्र में दो पिकअप वाहन को रोक लिया। उसमें मांस होने से लोग भड़क गए। लोगों का संदेह था कि वाहन में गोमांस है। इस दौरान कुछ लोगों ने दोनों जगह वाहन चालकों से हाथापाई भी की और दोनों वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके बाद भाजपा के पूर्व नगरध्यक्ष मदन जोशी, बजरंग दल, करणी सेना से जुड़े लोग व आसपास के लोग भी मौके पर पहुंच गए
लोगों का कहना था कि वाहन में गोमांस लाया जा रहा है। बैलपड़ाव पुलिस चौकी पर उन्होंने बिना जांच के मांस के वाहन को अनुमति देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। रामनगर पुलिस छोई से पिकअप वाहन व चालक को कोतवाली ले आई। हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने कोतवाली पहुंचकर इस मामले में तहरीर दी। इसके बाद चालक की पिटाई से आक्रोशित मुस्लिम समाज से जुड़े लोग भी कोतवाली पहुंच गए। उन्होंने कहा कि चालक के साथ मारपीट करना गलत है।
अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस पर उनहोंने कोतवाली में धरने में बैठने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन देकर समझाया। दिन भर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। बरामद मांस के भैंस या गाय का होने की पुष्टि के लिए पशु चिकित्सकों की टीम ने सैंपल लिए। पिकअप चालक की पत्नी की ओर से भी पति के साथ मारपीट करने वालों के विरुद्ध तहरीर पुलिस को दी गई है। इधर पूर्व नगरध्यक्ष मदन जोशी ने बताया कि उनके पास कई दिन से मांस रामनगर आने की शिकायत मिल रही थी। दोषी मिलने पर कार्रवाई होनी चाहिए।
रामनगर: जिस पिकअप वाहन संख्या यूके 04 सीबी 8886 में मांस आ रहा था। उस वाहन में दो नंबर होने की बात सामने आ रही है। उक्त वाहन नंबर का पंजीकरण एक दिसंबर 2020 का है। उसके फिटनेस, टैक्स बीमा, प्रदूषण पूरे है। लेकिन उसी वाहन के पीछे हस्तलिखित एक और नंबर यूपी 02 टीसी 0046 भी लगा पाया गया है। ऐसे में वाहन को लेकर संदेह होना लाजिमी है कि एक ही वाहन में उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश का नंबर कैसे और क्यों था।













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