गजब : कृषि भूमि बेची जा रही आवासीय कॉलोनी के नाम पर, प्रशासन बैठा आंख मूंद कर।
राज्य भर में खनिज और भूमि क्रय विक्रय को लेकर रोज शिकायतें हैं जिस पर शासन-प्रशासन आँखें मूदें बैठा नजर आता है। कभी किसी अधिकारी ने संज्ञान लेकर कुछ काम कर भी दिया तो सालों उसी के चर्चे होते रहते हैं। प्रशासन से ऐसे ही मिली भगत का मामला सामने आया है जहां भू-स्वामी ने पहले तो अपनी भूमि पर गहरा गड्ढा खोदकर उपखनिज बेच बड़ी राशि एकत्र कर राजस्व हानि में कोई कोताही नहीं छोड़ी, उसके बाद प्रशासन की मिली भगत से उस गड्ढे को विषाक्त रसायनों से पाट दिया गया। यहीं बात नहीं रूकी बल्कि आगे बढ़ते हुए भू-स्वामी ने उस विषाक्त रसायन से पटे भयंकर गडढे के ऊपर आवासीय कालोनी विकसित कर प्लाट बेचने का कार्य शुरू कर दिया, शासन-प्रशासन है कि अपनी इस मिली भगत को जैसे सहर्ष स्वीकार रहा है।
बता दे कि हल्द्वानी के रामपुर रोड़ से सटा ग्रामीण क्षेत्र हरिपुर फुटकुआँ में एक बड़े भू-भाग पर काटी जा रही आवासीय कॉलोनी में क्रेताओं को धोखे में रखकर प्लाटों का सौदा तो किया ही जा रहा है साथ ही कॉलोनाइजर द्वारा क्रेताओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है। क्योंकि आने वाले कल में राख की ढ़ेर पर बनने वाले ये फ्लैट कितने दिनों तक अपनी नींव पर टिके रहेंगे कोई नहीं कह सकता। यहां कॉलोनाइजर क्रेताओं के साथ तो धोखा-धड़ी तो कर ही रहा है साथ ही उसके द्वारा इसी भू-भाग से हजारों टन उपखनिज निकाल कर उसे रातों-रात ठिकाने लगा दिया, जिसमें सरकार को करोड़ों रूपये की राजस्व हानि हुयी पर कार्रवाही के नाम पर सम्बन्धित विभाग आँखें मूंदे बैठे है। असल में ग्राम सभा हरिपुर फुटकुआँ के जिस 3.2320 हैक्टेयर में कॉलोनी काटी जा रही है, वर्तमान में यह भूँ-खण्ड दामोदर दास पुत्र दुखी राम, मदन लाल पुत्र दुःखी राम, राधा पत्नी बची दत्त, देवी दत्त पुत्र बाला दत्त, राजेश कुमार पुत्र शिव चन्द, दिनेश चन्द पुत्र छेदी लाल के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। उपरोक्त भू-खण्ड जिसमें कॉलोनी काटी जा रही है, भू-स्वामी ने अधिक मुनाफा कमाने की नीयत से उपरोक्त भू-खण्ड में गडढ़ा खोदकर हजारों टन उपखनिज निकाल लिया गया। उपखनिज निकालने को लेकर सम्बन्धित विभाग से अनुमति ली भी गयी या नहीं इसकी कोई स्पष्ट सूचना नहीं है। भू-खण्ड से उपखनिज निकालने के बाद इसे गुपचुप तरीके से ठिकाने लगा दिया गया। उपखनिज को ठिकाने लगाने के बाद कई सालों तक भू-खण्ड के बड़े क्षेत्र में गहरा गड्ढा बना रहा, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया। बाद में जब प्रशासन द्वारा उपखनिजों के स्टॉक को लेकर छापेमारी की जाने लगी तो भू-स्वामियों ने इसे देखते हुये सेन्चुरी पेपर मिल से निकली राख व कीचड़ युक्त कैमिकल से गड्ढे का भरान कर दिया गया। यहां बता दे कि सेन्चुरी पेपर मिल से निकली राख व कैमिकल जमीन के लिये कितना हानिकारक है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां कही भी सेन्चुरी की यह राख व कैमिकल फैंका गया वहां की जमीन बंजर होकर रह गयी और भू-जलस्तर कम हो गया। यहां यदि यहीं बात महज जमीन भरान तक की होती तो अलग बात थी, लेकिन भू-स्वामी द्वारा उक्त जमीन पर वर्तमान में कॉलोनी काटने का कार्य गतिमान है। कॉलोनी भी ऐसी जमीन पर काटी जा रही है, जिसके नीचे सेन्चुरी पेपर मिल की हानिकारक राख व लाखों टन कैमिकल दबा हुआ है। लेकिन भू-खण्ड स्वामी द्वारा क्रेताओं से इस सच्चाई को पूरी तरह छुपाया गया, जो उनके साथ खुला धोखा नहीं तो क्या है? क्योंकि आने वाले कल में सेन्चुरी की राख के ढ़ेर पर बनने वाले इन आवासों का क्या भविष्य होगा, राख के ढेर पर बना मकान कितने दिनों तक मजबूती के साथ टिका रहेगा कोई नहीं बता सकता। ऐसे में यदि आने वाले कल में कोई बड़ी जनहानि व धनहानि उन जमीन उपभोक्ताओं की होती है तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी? ऐसे ही तमाम सवाल है पर जवाब नदारद है।
इस बाबत जब हमारी बात उक्त भू-स्वामी व विन्ध्यवासिनी स्टोन क्रशर के पार्टनर बी.आर. शर्मा से हुयी तो उनका कहना था कि उक्त भूमि कृषक थी जिसे कृषि रूप में ही मैंने उन्हें बेच दिया जो उसी गाँव में रहते हैं जिनका नाम है कन्नू पडियार और मोहन सिंह जन्तवाल है। पर ग्राउण्ड रिर्पोट बताती है कि जो जमींन भू-स्वामी बी.आर. शर्मा बता रहे कि मैंने कन्नू पडियार व मोहन सिंह जन्तवाल को बेची है वो अकृषक कराये बिना बेची जा रही है। जिस पर भू-स्वामी ने उक्त दोनों के साथ एकग्रीमेंट किया है कि वे दोनों प्लॉट बचेंगे और रजिस्ट्री करेंगे भू-स्वामी।