एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने दीपावली से पहले लोन लेने वाले ग्राहकों को तोहफा दिया है. निजी क्षेत्र के भारत के सबसे बड़े बैंक ने अपनी सीमांत निधि लागत-आधारित ऋण दर (MCLR) में कटौती की घोषणा की है. बैंक के इस फैसले से लोन की ईएमआई कम होगी.
एचडीएफसी बैंक के मुताबिक, संशोधित MCLR दरें 7 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हैं. यह संशोधन विभिन्न ऋण अवधि पर लागू होता है और बैंक के एमसीएलआर से जुड़े गृह, व्यक्तिगत और व्यावसायिक ऋण लेने वाले ग्राहकों को राहत प्रदान करता है
.एचडीएफसी बैंक ने चुनिंदा अवधियों पर अपने एमसीएलआर में 15 आधार अंकों (bps) तक की कटौती की है. संशोधन के बाद, एचडीएफसी बैंक का एमसीएलआर अब 8.40% से 8.65% के बीच है, जो पहले 8.55% से 8.75% के बीच था. ओवरनाइट एमसीएलआर 8.55% से घटकर 8.45% हो गया है, जबकि एक महीने की दर अब 8.40% है.
15 आधार अंकों की कटौती के साथ तीन महीने की ऋण दर 8.45% हो गई है. वहीं, छह महीने और एक साल की दरें 10 आधार अंकों की कटौती के साथ अब 8.55% हैं. दो साल और तीन साल की दरों सहित लंबी अवधि के लिए ऋण दरें क्रमशः 8.60% और 8.65% निर्धारित की गई हैं.
ईएमआई में कमी आने की उम्मीद
एचडीएफसी बैंक के एमसीएलआर से जुड़े ऋण लेने वाले उधारकर्ताओं, विशेष रूप से फ्लोटिंग-रेट ऋण, की ईएमआई में कमी आने की संभावना है. पॉलिसी रेपो दर पर 2.4% से 7.7% का मार्जिन जोड़कर गणना की जाने वाली गृह ऋण दरें वर्तमान में उधारकर्ता की प्रोफाइल और ऋण के प्रकार के आधार पर 7.90% से 13.20% तक हैं
.एमसीएलआर, भारत में बैंकों द्वारा ऋणों के लिए वसूली जाने वाली न्यूनतम ब्याज दर है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2016 में इसकी शुरुआत की थी. इसका मकसद बैंकों द्वारा निर्धारित की जाने वाली ब्याज दरों में पारदर्शिता लाना था. यह सुनिश्चित करता है कि ऋण लेने वालों से बैंक की निधि लागत से कम ब्याज दर न ली जाए, जब तक कि निर्दिष्ट न किया जाए.
एमसीएलआर में कटौती से ऋण लेने वालों पर वित्तीय बोझ कम होता है, जिससे मासिक भुगतान आसान हो जाता है. MCLR में कमी इस बात का संकेत है कि बैंक बदलती आर्थिक परिस्थितियों और मौद्रिक नीति पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं.

















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