नैनीताल: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग हरिद्वार में सदस्य पद का कार्यकाल पूरा कर चुकीं प्रो. मंजुला राणा को दोबारा एचएनबी गढ़वाल विवि में दोबारा नियुक्ति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने प्रो. मंजुला राणा को नोटिस जारी किया है. साथ ही गढ़वाल विश्वविद्यालय समेत 4 अन्य पक्षकारों से जबाव दाखिल करने को कहा है.
दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता डॉक्टर नवीन प्रकाश नौटियाल ने एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर मंजूला राणा को साल 2010 में राज्य लोक सेवा आयोग हरिद्वार का सदस्य बनाया गया था. उनका कार्यकाल 6 साल का रहा, जो साल 2016 में पूरा हो गया, लेकिन उन्हें बाद में दोबारे गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में नियुक्ति दे दी गई थी.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी नियुक्त संविधान के अनुच्छेद 319 (डी) का उल्लंघन है. इस अनुच्छेद के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) या संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में सदस्य बने प्रोफेसरों को दोबारे नियुक्ति नहीं दी जाएगी.
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि दूसरी ओर इसी विश्वविद्यालय या एचएनबी गढ़वाल विवि के प्रोफेसर जेएमएस राणा भी राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य बने, लेकिन उन्हें दोबारा विश्वविद्यालय में नियुक्ति नहीं दी. जो कि एक ही विश्वविद्यालय में दो नियम लागू किए जाने का मामला है. वहीं, पूरे मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई करते सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है. जबकि, प्रोफेसर मंजुला राणा नोटिस जारी किया है.
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