केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह के लिए बाधा बने गणेश गोदियाल और हरीश रावत
केदारनाथ : जब से केदारनाथ उपचुनाव की घोषणा हुई हुई है भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां चुनाव की तैयारी में लग चुकी है। दोनों पार्टियां केदारनाथ की सीट पर कब्जा जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। दोनो पार्टियों के दिग्गज नेता उपचुनाव की दावेदारी कर रहे है जिनमे सबसे ज्यादा चर्चाओं में नाम है कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत का, कल तक हरक सिंह ईडी के दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे और लगातार चर्चाओं में थे अब वह केदारनाथ उपचुनाव के लिए टिकट की दावेदारी को लेकर चर्चाओं में है।
उनका यह भी कहना है कि अगर कांग्रेस किसी और को टिकट देती है तो भाजपा को 100 घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे लेकिन अगर मुझे टिकट देती है तो भाजपा को जीतने के लिए 1000 घोड़े दौड़ाने पड़ेंगे। हरक सिंह रावत फुल कॉन्फिडेंस में टिकट की दावेदारी करते हुए प्रचार प्रसार रहे है।
अपनी ही पार्टी के नेता आए हरक सिंह रावत के विरोध में
लेकिन कहानी में तब ट्विस्ट आया जब कांग्रेस के ही कुछ नेता हरक सिंह रावत की दावेदारी के विरोध में खड़े हो गए जिनमें कांग्रेस के दिग्गज और वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल थे। पूर्व सीएम हरीश रावत ने स्थानीय उम्मीदवारों की वकालत करते हुए हरक सिंह रावत की दावेदारी का विरोध किया है। दूसरी ओर लोक सभा चुनाव में दूरी बनाए रखने के कारण नाराज गणेश गोदियाल भी हरक सिंह के आगे बाधा बनाकर खड़े है।
लोकसभा चुनाव के दौरान ईडी , सीबीआई जांच के तेजी पकड़ने और जेल जाने के भय से हरक सिंह ने अपने करीबी साथी गणेश गोदियाल के पौड़ी लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं किया था। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पूर्व रातों रात भाजपा से निष्कासित हरक सिंह को कांग्रेस में शामिल कराने में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की अहम भूमिका रही थी।
लेकिन उस समय हरक सिंह रावत से नाराज हरीश रावत 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराने के मुख्य किरदार हरक सिंह को मानते थे। जिस वजह से हरीश रावत ने हरक सिंह की वापसी में वीटो लगा दिया था। कई दिन तक हरक व बहु अनुकृति की कांग्रेस में वापसी रुकी रही। हाईकमान भी हरीश रावत की दलील के आगे असहाय नजर आया।
हरीश के कड़े स्टैंड से हरक सिंह कुछ दिन राजनीति के हाशिये पर खड़े कर दिए गए थे। लेकिन इस बीच गोदियाल ने हरीश रावत समेत अन्य नेताओं को चुनाव इन जीत का हवाला देते हुए हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी करवा आक्सीजन मुहैया करा दी थी।
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में जब गोदियाल को प्रचार के लिए निताओं की आवश्यकता थी उसी समय भाजपा के भारी ‘दबाव’ के चलते हरक सिंह पार्टी उम्मीदवारों के प्रचार में बाहर नहीं निकल पाए। पौड़ी लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर जूझ रहे गोदियाल को उम्मीद थी कि हरक सिंह उनके प्रचार में आएंगे। लेकिन सीबीआई व ईडी से खौफ खाया हरक सिंह का कुनबा भाजपा के प्रचार में उतर गया। और हरक सिंह ने चुप्पी साध ली।
और हरक सिंह का यही रवैया गोदियाल को खल गया। आज केदारनाथ उपचुनाव में हरक की दावेदारी के विरोध में गोदियाल मजबूती से अड़े हुए हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ कदमताल करते हुए पूर्व विधायक मनोज रावत की पैरवी में उतरे हुए हैं।
वो नेता जो चाहते है हरक सिंह को टिकट मिले
पार्टी में विरोध कर रहे नेताओं के साथ समर्थन के लिए हाथ उठाने वाले नेता भी मौजूद है जिनमें प्रदेश अध्यक्ष करण महारा व पूर्व विधायक रंजीत रावत ने हरक सिंह के समर्थन में मोर्चा खोला हुआ है।
हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की अगस्त- सितम्बर में आहूत केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा बचाओ पदयात्रा में करण महारा के पक्ष में नारेबाजी कर अपनी जोशीली मौजूदगी दर्ज कराई थी।
इस पदयात्रा में गोदियाल की हरक सिंह व महारा से तल्खी काफी बढ़ गयी थी। बदरीनाथ की जीत के बाद कांग्रेस को केदारनाथ उपचुनाव में भी जीत का भरोसा है। ऐसे में हरक सिंह भी टिकट की आस संजोए हुए है। लेकिन पहले हरीश रावत का विरोध और मुख्य पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल की भारी नाराजगी हरक सिंह के टिकट के सपने को चकनाचूर किये हुए हैं।