उत्तराखंड के नरेंद्रनगर में एक महिला को परेशान करने के आरोप में विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट/ जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एक व्यक्ति को 19 महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी पर महिला ने मारपीट करने व आपत्तिजनक फोटो को अपनी वॉट्सऐप डीपी पर लगाने का आरोप लगाया था. साथ ही जान से मारने व मां और बहन के मोबाइल पर अश्लील मैसेज भेजने का आरोप लगाया था. कोर्ट ने दोषी पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. आरोपी जुर्माने की राशि अदा नहीं करता है तो उसे एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.
मेट्रोमोनियल साइट पर दोनों की हुई थी पहचान: अभियोजन पश्च के अनुसार पीड़िता ने 29 जनवरी 2020 को नरेंद्रनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. महिला ने बताया कि 2018 में उसके पति की मौत हो गई थी, इसके बाद नवंबर 2019 में मेट्रोमोनियल साइट के माध्यम से उसकी पहचान मंसूरपुर, यूपी निवासी व्यक्ति से हुई. शुरुआत में व्यक्ति का व्यवहार अच्छा था और दोनों करीब आ गए. इसी दौरान व्यक्ति ने महिला के आपत्तिजनक फोटो खींच लिए. शिकायत के मुताबिक बाद व्यक्ति महिला से झगड़ा और मारपीट करने लगा.
मारपीट व अश्लील मैसेज भेजने का आरोप: जब महिला ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया तो व्यक्ति ने उसके आपत्तिजनक फोटो को अपनी वॉट्सऐप डीपी पर लगा दिया. साथ ही उसने महिला की मां और बहन के मोबाइल पर भी अश्लील मैसेज भेजे. वह फेसबुक पर भी गंदे मैसेज भेजकर और जान से मारने की धमकी देकर उसे परेशान करने लगा. महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और आरोपी को उसके गृहनगर मंसूरपुर से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया.
जिला शासकीय अधिवक्ता स्वराज्य सिंह पंवार ने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, विशेष न्यायाधीश अमित कुमार सिरोही की अदालत ने 3 सितंबर 2025 को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने अभियुक्त दीपक सिंह को एससी-एसटी एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया. लेकिन उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (चोट पहुंचाना), 506 (धमकी देना) और आईटी एक्ट की धारा 67 (अश्लील सामग्री भेजना) के तहत दोषी पाया. अदालत ने उसे 19 महीने का सश्रम कारावास और 25,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. यदि दोषी जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा.
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