देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र भूमि से एक बार फिर देश को नया वीर सैनिक मिला है. रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के अंतर्गत गुनाऊं गांव का मयंक वशिष्ठ भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट बना है. मयंक ने लेफ्टिनेंट बनकर क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे जिले का गौरव बढ़ाया है.
मयंक के पिता भारतीय सेना में दे चुके सेवाएं: देश सेवा का जज्बा मयंक वशिष्ठ को अपने परिवार से विरासत में मिला. उनके पिता गिरीश चंद्र वशिष्ठ भारतीय सेना में बतौर सिपाही अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वहीं, माता सुशीला वशिष्ठ एक कुशल गृहिणी हैं. जिन्होंने अपने बच्चों को मजबूत संस्कार और उच्च आदर्श दिए.
मयंक की बड़ी बहन माउंट एवरेस्ट कर चुकी फतह: परिवार में पहले भी देश सेवा और बुलंद हौसलों की मिसाल रही है. मयंक की बड़ी बहन नूतन वशिष्ठ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर देश-प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं. वहीं, बड़ा भाई प्रियंक नवी (मुंबई) में है. अब छोटे भाई ने सेना में अधिकारी बनकर उस परंपरा को और ऊंचाई दी है.
कम उम्र में लेफ्टिनेंट का पद हासिल करना आसान नहीं होता, लेकिन मयंक ने कठिन परिश्रम, अनुशासन और मजबूत संकल्प के बल पर यह मुकाम पाया है. सेना में अधिकारी बनते ही मयंक ने न केवल अपने माता-पिता का सपना पूरा किया. बल्कि, पूरे जिले को भी गर्वित किया है.
डांगी गुनाऊं के ग्राम प्रधान आलोक रौतेला ने जताई खुशी: डांगी गुनाऊं के ग्राम प्रधान आलोक रौतेला ने मयंक की इस सफलता पर खुशी और गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि ‘मयंक जैसे युवाओं से आज की पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने साबित किया है कि कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद दृढ़ इच्छा शक्ति और लगन से हर मंजिल हासिल की जा सकती है.’
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